उड़न-तश्तरी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- उड़न-तश्तरी वाले समीर लाल जी की मानें तो अब यह मन बहलाने-वहलाने का जिम्मा तो बस हिंदी ब्लागिंग पर ही छोड़ कर निश्चिंत हो जाइये , जनाब।
- कभी-कभी स्नेहमयी होकर वो उन नखरों को पूरा भी कर देती है , और अपने लाडले बच्चों की एक मुस्कान की उड़न-तश्तरी पर सवार होकर स्वर्ग की सैर कर लेती है .
- किसने लिखी है , यह बताने के लिये “ उड़न-तश्तरी ” अंकल हैं ही ! हम तो बस ये सोच रहे हैं कि काश कोई एक “ मामा-दिवस ” भी होता ।
- पियुष महेता जी दिलीप कवठेकर जी चिदम्बर काकतकर जी सागर नाहर जी केदार जी उड़न-तश्तरी जी और जहाजी कउवा जी , आप भी; कहाँ गये आप सब के सब ? “अब जनि कोउ माखै भट मानी ।
- इस परिचयनामा के सौजन्य से मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि वे उड़न-तश्तरी पर एक तकनीकी खंड खोलें और नियमित तकनीकी ( जो उनका डोमेन है, जैसे कि एक्सेल, वाणिज्य इत्यादि...) आलेख लिखकर हिन्दी ब्लॉगजगत् को समृद्ध करें.
- इस तरह की चीज़ों को ढूंढ-ढूंढकर निकाला जाता है यू-ट्यूब से एलियन्स के फ़र्ज़ी विडियोज़ निकाले जाते हैं , गाय को उड़न-तश्तरी ले जाते हुए एनिमेशन दिखाए जाते हैं और इस तरह की बहुत सी तस्वीरें आप के ज़ेहन में आती होंगी।
- लेकिन इन नौ-दस माह के ब्लॉग प्रवास के दौरान “ उड़न-तश्तरी ” , “ ई-पंडित ” , “ सागर भाई ” , “ पंगेबाज ” आदि का नियमित स्नेह और मार्गदर्शन मिलता रहा , वरना मैं तो अखबारों में ही लिखने में मस्त था।
- इतने प्यारे बच्चे को मुझे एक चपत लगाने का मन करता है , अरे दरों मत प्यार वाली चपत कि बात कर रहा हूँ . : ) आपके डा मामा कि कविता बहुत बढ़िया है , मगर वह हर बार उड़न-तश्तरी अंकल को फंसा कर निकल लेते हैं .. : D
- तो जनाब अब हमारे सामने यक्ष प्रश्न है कि ब्लॉगर-बिरादरी मे पॉपुलर कैसे हुआ जाए … गुरुदेव समीर लाल जी की उड़न-तश्तरी पर कमेंट्स की सेंचुरी … और अपनी पोस्ट पर कमेंट्स वाली जगह पर रबर की एक कूची के साथ लगा अंडा … ऐसे मुंह चिढ़ाता रहता है- मानो कह रहा हो-क्यों आ रहा है न मज़ा … बड़े तीसमारखां बनते थे . .
- उड़न-तश्तरी को तो दो-दो ईनाम मिल चुके हैं , मेरा-पन्ना हिन्दी का सर्वाधिक पोस्ट-और-पाठक वाला सर्वविदित चिट्ठा है ही, ई-पंडित ने गिनती के चार महीने में ही हिन्दी ब्लॉगिंग की दिशा बदल दी है और जहाँ कहीं मैं ब्लॉग और हिन्दी ब्लॉग की चर्चा करता हूँ कि शायद कोई जानकार मेरे चिट्ठे को जानता-पढ़ता हो तो तब मेरी हवा निकल जाती है जब सामने वाला बोलता है - हाँ हिन्दी चिट्ठों के बारे में मैं जानता हूँ और पढ़ता भी हूं - मैं फ़ुरसतिया को पढ़ता हूँ....