उपोद्घात का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसीलिए धातुवृत्ति , भी , “ माधवीया ” कहलाने पर भी , सायण की ही नि : संदिग्ध रचना है जिसका उल्लेख उन्होंने ग्रंथ के उपोद्घात में स्पष्टत : किया है-
- मनु नारी का राष्ट्रीय मानचित्र प्रस्तुत करते हुवे कहते है , जो विधिक दर्शन का प्रथम उपोद्घात है और सदियों को भेद कर आज भी गुंजायमान है- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।
- [ 2 ] सायण ने भी अपने भाष्य के उपोद्घात में इसी प्रकार की आख्यायिका दी है , जिसके अनुसार किसी महर्षि की अनेक पत्नियों में से एक का का नाम ' इतरा ' था।
- प्रतिरूप हो जिसमे प्रजा का , राज वो पाना चाहता हूँ, देश-प्रेम की नई वतन में, अलख जगाना चाहता हूँ॥ महाभारत के कौशल में, उपोद्घात न कोई छक्कों का, जन्नत और न बने अब यह, लुच्चे, चोर-उचक्कों का।
- क्या विद्या से वंचित नारियां पुरूषों को शिक्षा दे पाएंगी ? आचार्य सायण ऋग्वेद भाष्य के उपोद्घात में लिखते हैं-स्त्री शूद्रस्यास्तु सत्यामपि ज्ञानपेक्षाया मुपनयना भ्रवेनाध्ययन साहित्याद वैदेअधिकार : प्रतिबद्घ : अर्थात स्त्री और शूद्र को ज्ञान की अपेक्षा होने पर भी उपनयन ( यज्ञोपवीत ) के अभाव में इनका वेदाध्ययन का अधिकार नही है।
- परन्तु जब कर्णपर्व में वर्णित उक्त चोरों के दृष्टांत के समान , हमारे सच बोलने से निरपराधी आदमियों की जान जाने की आशंका हो तो उस समय क्या करना चाहिए ? ग्रीन नामक एक अंग्रेज़ ग्रंथकार ने अपने ' नीतिशास्त्र का उपोद्घात ' नामक ग्रंथ में लिखा है कि ऐसे मौकों पर नीतिशास्त्र मूक हो जाते हैं।
- इसलिए कि जो स्वयं को छोड़ सकता है , वह कामना किसकी करेगा ! शोक किसके लिए करेगा ! अगर उसे यह बोध हो गया कि वह एक विराट योजना की कड़ी है - उसका होना मात्र एक संयोग है , वह केवल एक भूमिका भर निभाने के लिए अस्तित्व में आया है , उसकी स ा मात्र अन ा का उपोद्घात ( प्रारंभ ) है , तब वह तड़पेगा किसके लिए , खौफ क्यों खाएगा ?