कंडील का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- समरेंद्र और हममें दो समानताएं तो साफ नज़र आती है , पहली तो यह कि हम दोनो ही कंडील / चश्मिश हैं और दूजा यह कि हम दोनो का ही घर मे नाम संजू है।
- इसी के साथ पोस्टर , प्लास्टिक का सामान, खेल-खिलौने, रंग बिरंगी मोमबत्तियां, रंगीन दीए, घर को सजाने के लिए बिजली की लड़ियां, कंडील, झूमर, कागज व प्लास्टिक के वेलकम, हैप्पी दीवाली, शुभ-लाभ के स्टीकर आदि की दुकानें भी लगी हुई थी।
- ऐसी स्थिति में जब मैंने अपनी पत्नी से कंडील जलाकर लाने को कहा तो उसने मुझसे कोई पूछताछ या तर्क नहीं किया कि इस समय मैं जलते हुए कंडील का क्या करुंगा ? बस मैंने मांगा और उसने लाकर दे दिया ।
- ऐसी स्थिति में जब मैंने अपनी पत्नी से कंडील जलाकर लाने को कहा तो उसने मुझसे कोई पूछताछ या तर्क नहीं किया कि इस समय मैं जलते हुए कंडील का क्या करुंगा ? बस मैंने मांगा और उसने लाकर दे दिया ।
- ऐसी स्थिति में जब मैंने अपनी पत्नी से कंडील जलाकर लाने को कहा तो उसने मुझसे कोई पूछताछ या तर्क नहीं किया कि इस समय मैं जलते हुए कंडील का क्या करुंगा ? बस मैंने मांगा और उसने लाकर दे दिया ।
- ऐसी स्थिति में जब मैंने अपनी पत्नी से कंडील जलाकर लाने को कहा तो उसने मुझसे कोई पूछताछ या तर्क नहीं किया कि इस समय मैं जलते हुए कंडील का क्या करुंगा ? बस मैंने मांगा और उसने लाकर दे दिया ।
- हममें से कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य में पूर्ण पारंगत तो शायद कभी भी नहीं होता है और नवीनता के दौर में तो हर कोई अपनी अज्ञानता या अल्पज्ञानता के कारण वैसे ही असमंजस वाली मनोदशा से भरा होता है किन्तु हमारी ये अल्पज्ञ सी सीमित समझ घोर अन्धकार में जंगल में चलते हुए हमारे हाथ के उस कंडील के समान तो होती ही है जिसकी रोशनी पांच कदम से अधिक दूर नहीं जा पाती ।
- समझ के कपाट और आँखें खुलने वाले बचपन को इस क्षेत्र में रहते हुए जो देखने को मिला , वह था- गाँवों की संरचना , वहाँ के लोग , अभाव , गरीबी , अशिक्षा , अंधविश्वास , आस्था , प्रकृति के उपादानों के साथ ही जागीरदारी के उपयोग हेतु कौड़ी मूल्यों में तुलते घी के डिब्बे , अहलकारों के लिए लकड़ी चीरते , कंडील चिमनी साफ करते छोटे गरीब किसान-मजदूर और कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में , सरे बाजार हरी किमड़ियों से पीटे जाते थरथराते कर्जदा र. .. ।
- समझ के कपाट और आँखें खुलने वाले बचपन को इस क्षेत्र में रहते हुए जो देखने को मिला , वह था- गाँवों की संरचना , वहाँ के लोग , अभाव , गरीबी , अशिक्षा , अंधविश्वास , आस्था , प्रकृति के उपादानों के साथ ही जागीरदारी के उपयोग हेतु कौड़ी मूल्यों में तुलते घी के डिब्बे , अहलकारों के लिए लकड़ी चीरते , कंडील चिमनी साफ करते छोटे गरीब किसान-मजदूर और कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में , सरे बाजार हरी किमड़ियों से पीटे जाते थरथराते कर्जदा र. .. ।