कदली वृक्ष का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कमेटी के अध्यक्ष नंदन साह के नेतृत्व में दर्जनों पदाधिकारी , सदस्य और नगरीय युवा कदली वृक्ष लाने मंडलसेरा गांव रवाना हुए और पूर्व प्रधान किशन सिंह मलड़ा के खेत से वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच कदली वृक्ष निकाला गया।
- रानीखेत। जरूरी बाजार स्थित नंदा देवी मंदिर में कदली वृक्ष आमंत्रण के साथ नंदा देवी महोत्सव शुरू हो गया है। सुबह मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद मां नंदा देवी के जयघोष के साथ राय स्टेट स्थित माधवकुंज निवास से कदली केला स्तंभ लाया गया।
- इस दौरान परंपरागत तरीके से मूर्ति निर्माण हेतु प्रयुक्त होने वाले कदली वृक्षों के बदले रोपे जाने वाले 21 पौधों की पूजा अर्चना की गई तथा कदली वृक्ष लाने वाले दल को परंपरागत लाल एवं सफेद ध्वज ( निशानों ) पवित्र कदली वृक्ष लाने वाले दल को प्रदान किये।
- इस दौरान परंपरागत तरीके से मूर्ति निर्माण हेतु प्रयुक्त होने वाले कदली वृक्षों के बदले रोपे जाने वाले 21 पौधों की पूजा अर्चना की गई तथा कदली वृक्ष लाने वाले दल को परंपरागत लाल एवं सफेद ध्वज ( निशानों ) पवित्र कदली वृक्ष लाने वाले दल को प्रदान किये।
- तन कर बैठे देव सुन्दर शरीर सौष्ठव सहित दर्शाये गये हैं जो योद्धाओं सरीखी सुगठित देहयष्टि-पतली कमर , चोडा़ वक्ष , लम्बकर्ण , मकर कंडलधारी , दायीं ओर कमर से नीचे बाण पकडे़ तथा धनुष को दृढ़ता से धारण किये कदली वृक्ष के पत्तों के बने छत्र सहित सुशोभित हैं।
- इस दौरान परंपरागत तरीके से मूर्ति निर्माण हेतु प्रयुक्त होने वाले कदली वृक्षों के बदले रोपे जाने वाले 21 पौधों की पूजा अर्चना की गई तथा कदली वृक्ष लाने वाले दल को परंपरागत लाल एवं सफेद ध्वजों ( निषानों ) को पवित्रा कदली वृक्ष लाने वाले दल को प्रदान किया।
- इस दौरान परंपरागत तरीके से मूर्ति निर्माण हेतु प्रयुक्त होने वाले कदली वृक्षों के बदले रोपे जाने वाले 21 पौधों की पूजा अर्चना की गई तथा कदली वृक्ष लाने वाले दल को परंपरागत लाल एवं सफेद ध्वजों ( निषानों ) को पवित्रा कदली वृक्ष लाने वाले दल को प्रदान किया।
- [ / size ] बुधवार सुबह तड़के ब्रह्म मूहूर्त में करीब दो से साढ़े तीन बजे तक मां नन्दा व सुनन्दा की कदली वृक्ष से बनाई गई मूर्तियों को मां नयना देवी मन्दिर परिसर में बनाऐ गए पारंपरिक दरबार में रखा गया , और प्राण प्रतिश्ठा की प्रक्रिया शुरू हुई।
- कदली वृक्ष सी जंघाएं , गुरुतर नितम्ब, कुम्भ या हिम जैसे वक्ष, हिरणी जैसी आंखें, शुक जैसी नाक, बिम्बा फल जैसे होठ, सुराहीदार गर्दन, कुंदन जैसा दमकता रंग, नागिन जैसे बल खाते केश, मद भरे नैन, कोयल जैसे बोल, धनुष जैसी भौंहें, चंद्रमा जैसा भाल, सिंह जैसी कमर....! पहेली ही बन गई उस पर- “कनक छडी सी कामिनी, काहे को कटि छीन?” जवाब भी मिला- “कटि को कंचन काटि बिधि, कुचन मध्य धरि दीन.”