×

कनफूल का अर्थ

कनफूल अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. हमरे बास्ते पाज़ेब और कनफूल बना रहे हैं- जइसा तू मने-मने , बदमाश, बाना बुन रही है!जब से ऊ पतंगवाला काम छूटा, रोज़ इफ़्तार चचा के हिंया जाके चिलम लेके बइठे रहते थे!
  2. तरकुला-सोने के कनफूलनुमा , पर कनफूल से चौड़े रबादार और कलसादार आभूषण, जिसमें रौना (बोरा या मोती) लगे रहते हैं और उनसे जुड़ी झुमकी आभा का अलग रंग बिखेरती है, तरकुला कहलाता है ।
  3. अब तक उसके और खासतौर से गाँवों के चलन में बेंदा , टिकुली, छूटा, बिचौली, सुतिया, हमेल, ककना, दौरी, गजरा, बजुल्ला, पुंगरिया, दुर, कनफूल, छापें-छला, चुरियाँ, करधौनी, पैजना, बिछिया आदि आभूषण प्रमुख थे ।
  4. इससे पहले लुटेरों को कुछ समझ आता कृष्णलाल ने एक को पकड़ लिया लेकिन दूसरे ने विवाहिता पूजा के दाएं कान की आधे तोले का कनफूल ( बाली ) खींच ली और भाग गया।
  5. ढारें-सोने या चाँदी की कनफूल की तरह गोल निकासीदार या जड़ाऊ होती हैं और निचले किनारे में लगे कुंदों से अंग्रेजी अक्षर यू की तरह साँकरें लटकती रहती हैं , जो क्रमा: भीतर कीर तरफ छोटे यू में बदलती जाती हैं ।
  6. मैं बहुत हिचक के साथ कहना चाहूँगा कि सुशील कुमार की कहानी कनफूल ( जनाधार भारती , अगस्त 1991) ‘ रेणु ‘ जी की याद ताजा कर देती है, पर यहाँ वह जो अस्पष्ट है, रेणु की तरह कहानी में कुछ नया विस्तार नहीं रच पाता.
  7. मैं बहुत हिचक के साथ कहना चाहूँगा कि सुशील कुमार की कहानी कनफूल ( जनाधार भारती , अगस्त 1991 ) ‘ रेणु ‘ जी की याद ताजा कर देती है , पर यहाँ वह जो अस्पष्ट है , रेणु की तरह कहानी में कुछ नया विस्तार नहीं रच पाता .
  8. तो गहने से इसे क्या , इसका दुबला शरीर काम की परतंचा उतारी हुई कमान है , और इसके गोरे गोरे गोल गालों में कनफूल की परछाहीं ऐसी दिखाती है जैसे चांदी की थालों में भरे हुए मजीठे के रंग में चंद्रमा का प्रतिबिम्ब , इसके कर्णावलम्बी नेत्र मेरे मन को अपनी ओर खींचे ही लेते हैं।
  9. दरवाज़े और आवाज़े शाम की आशिक़ों की छुपन हराम की यह जंगल नहीं शर्त साहित्य की और नहीं तो आएगा सूरज आएगा सूरज आएगा सूरज माँ ने कहा पश्चिम है रात पिता ने कहा खोह है ग़म बाडा ने कहा नमक है नींद और नहीं तो आएगा रॉबिन आएगा रॉबिन आएगा रॉबिन धनिया के क्यारी में कनफूल किताब के अलमारी में उबाल तुम्हारे कलम में मेरा पचास और नहीं तो आएगा विश्वास आएगा विश्वास आएगा विश्वास ***
  10. हम लोहा पीटते हैं जहां भी होते हैं अपनी चिनगारियों से तपा कर हम लोहा पीटते हैं इस्तेमाल की चीजें बनाते हैं घर का फाटक , रसोई के बरतन , फावडे , हल की फालें हम आग में गलते जलते मनुख मानुखी बच्चे अचरज से देखते हैं आपकी दुनिया हमें अपना सुख गढने दुख पढने नहीं आया हमें कला नहीं आती लेकिन आता है चिंदियों से सुंदर पोशाकें बनाना बनाना बनाना देखे हुए की मूरतें मूरतों में मान सिंगार का सामान चूडियां , बाजूबंद , हंसली , कनफूल
अधिक:   पिछला  आगे


PC संस्करण
English


Copyright © 2023 WordTech Co.