क़द-काठी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- थोड़ी देर बाद जब मैंने आँखें खोली तो वहाँ अभी भी एक ललछौंहे घुंघराले बालों वाली गोरी पर फ्रेकल्ड चेहरे ( हल्के भूरे तिलों से भरा ) की बारह-तेरह वर्ष की मुझसे भी छोटे क़द-काठी की दुबली-पतली लड़की खड़ी मुझे बिल्ली की तरह घूर रही थी।
- वैसा ही दुबला-पतला , वैसी ही क़द-काठी ! मैंने भी सोच लिया कि काक्का रामदीना , तूने कोट जलाया है तो मैं भी हलवाई का पुत्तर हूं ...... ! मेरा बाप अजमल खां रोड पर बरफी टुकड़े तोड़कर तोलता था सोने की तरह ! हलवाई था न ! बारह पन्द्रह कारीगर थे लेकिन मजाल किसी की कि एक समोसा या एक गुलाबजामुन उनकी आंख बचाकर मुंह में डाल ले ....
- दो घर की बुनियादें , दीवारें, बामो-दर थे बाबूजी सबको बाँधे रखने वाला ख़ास हुनर थे बाबूजी तीन मुहल्लों में उन जैसी क़द-काठी का कोई न था अच्छे-ख़ासे, ऊँचे-पूरे, क़द्दावर थे बाबूजी अब तो उस सूने माथे पर कोरेपन की चादर है अम्माजी की सारी सजधज, सब जेवर थे बाबूज़ी भीतर से ख़ालिस जज्बाती और ऊपर से ठेठ-पिता, अलग, अनूठा, अनबूझा-सा, इक तेवर थे बाबूजी कभी बड़ा सा हाथ ख़र्च थे, कभी हथेली की सूजन मेरे मन का आधा साहस, आधा डर थे बाबूजी।
- दो घर की बुनियादें , दीवारें, बामो-दर थे बाबूजी सबको बाँधे रखने वाला ख़ास हुनर थे बाबूजी तीन मुहल्लों में उन जैसी क़द-काठी का कोई न था अच्छे-ख़ासे, ऊँचे-पूरे, क़द्दावर थे बाबूजी अब तो उस सूने माथे पर कोरेपन की चादर है अम्माजी की सारी सजधज, सब जेवर थे बाबूज़ी भीतर से ख़ालिस जज्बाती और ऊपर से ठेठ-पिता, अलग, अनूठा, अनबूझा-सा, इक तेवर थे बाबूजी कभी बड़ा सा हाथ ख़र्च थे, कभी हथेली की सूजन मेरे मन का आधा साहस, आधा डर थे बाबूजी।