कात्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ' अमरकोश' की एक टीका में लब्ध 'कात्य' शब्द के आधार पर 'कात्य' या 'कात्यायन' नामक 'अमर'-पूर्ववर्ती कोशकार का और पाठांतर के आधार पर व्याडि नामक कोशाकार का अनुमान होता है ।
- उनके पुत्र ऋ षि कात्य हुए इन्हीं कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन हुए उनके कठोर तपस्या के फलस्वरूप उनकी इच्छानुसार भगवती ने उनके यहां पुत्री के रू प में जन्म लिया।
- उनके पुत्र ऋ षि कात्य हुए इन्हीं कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन हुए उनके कठोर तपस्या के फलस्वरूप उनकी इच्छानुसार भगवती ने उनके यहां पुत्री के रू प में जन्म लिया।
- अमरकोश के पूर्व - जैसे कात्य का “नाममाला ” , भागुरि का “त्रिकांड ”, अमरदत्त का “अमरमाला ” या वाचस्पति का “शब्दार्णव ” आदि-एवं बाद के - पुरुषोत्तम देव के “हारावली ” तथा “त्रिकांडकोश ”, हलायुध का “अभिधान
- अमरकोश के पूर्व - जैसे कात्य का “नाममाला” , भागुरि का “त्रिकांड”, अमरदत्त का “अमरमाला” या वाचस्पति का “शब्दार्णव” आदि-एवं बाद के - पुरुषोत्तम देव के “हारावली” तथा “त्रिकांडकोश”, हलायुध का “अभिधान रत्नमाला”, यादवप्रकाश का “वैजंती” आदि-कोश एकभाषिक ही हैं।
- [ [ बौधायन धर्मसूत्र | बौधायन ]] ने अपने को छोड़कर सात धर्मशास्त्रकारों के नाम लिये हैं- औपजंघनि , कात्य , काश्यप , [[ गौतम धर्मसूत्र | गौतम ]] , प्रजापति , मौद्गल्य एवं [[ हारीत धर्मसूत्र | हारीत ]] ।
- [ [ बौधायन धर्मसूत्र | बौधायन ]] ने अपने को छोड़कर सात धर्मशास्त्रकारों के नाम लिये हैं- औपजंघनि , कात्य , काश्यप , [[ गौतम धर्मसूत्र | गौतम ]] , प्रजापति , मौद्गल्य एवं [[ हारीत धर्मसूत्र | हारीत ]] ।
- देवी कात्यायनी जी के संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार एक समय कत नाम के प्रसिद्ध ॠषि हुए तथा उनके पुत्र ॠषि कात्य हुए , उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध कात्य गोत्र से, विश्वप्रसिद्ध ॠषि कात्यायन उत्पन्न हुए थे.
- देवी कात्यायनी जी के संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार एक समय कत नाम के प्रसिद्ध ॠषि हुए तथा उनके पुत्र ॠषि कात्य हुए , उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध कात्य गोत्र से, विश्वप्रसिद्ध ॠषि कात्यायन उत्पन्न हुए थे.
- कवि नेपाली के व्यक्तित्व की कई विशेषताएं थीं जिनमें उनके कात्य -सृजन एक विशेष पक्ष यह था कि वो देश और समाज में पनप रहे विविध समस्याओं को अपने गीतों का विषय बना महौल एक विचारों की क्रान्ति फैलाते रहे ।