कामान्ध का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जयद्रथ के वचनों को सुन कर द्रौपदी ने उसे बहुत धिक्कारा किन्तु कामान्ध जयद्रध पर उसके धिक्कार का कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उसने द्रौपदी को शक्तिपूर्वक खींचकर अपने रथ में बैठा लिया।
- जयद्रथ के वचनों को सुन कर द्रौपदी ने उसे बहुत धिक्कारा किन्तु कामान्ध जयद्रध पर उसके धिक्कार का कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उसने द्रौपदी को शक्तिपूर्वक खींचकर अपने रथ में बैठा लिया।
- ' जयद्रथ के वचनों को सुन कर द्रौपदी ने उसे बहुत धिक्कारा किन्तु कामान्ध जयद्रध पर उसके धिक्कार का कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उसने द्रौपदी को शक् तिपूर्वक खींचकर अपने रथ में बैठा लिया।
- भावार्थ : - ( काकभुशुण्डिजी कहते हैं- ) हे गरुड़जी ! ( शूर्पणखा- जैसी राक्षसी , धर्मज्ञान शून्य कामान्ध ) स्त्री मनोहर पुरुष को देखकर , चाहे वह भाई , पिता , पुत्र ही हो , विकल हो जाती है और मन को नहीं रोक सकती।
- मनु जी सादर नमस्कार , कामान्ध पुरुषों के घ्रणित कृत्य और वासना के निम्नतम स्तर पर संतुलित भाषा शब्दों में लिखी गयी उत्कृष्ट रचना के लिए और संभ्रांत कहे जाने वाले मानव समूह के बीच होती घ्रणित घटनाओं को उजागर करने के लिए आप बधाई की पात्र हैं .
- मनु जी सादर नमस्कार , कामान्ध पुरुषों के घ्रणित कृत्य और वासना के निम्नतम स्तर पर संतुलित भाषा शब्दों में लिखी गयी उत्कृष्ट रचना के लिए और संभ्रांत कहे जाने वाले मानव समूह के बीच होती घ्रणित घटनाओं को उजागर करने के लिए आप बधाई की पात्र हैं .
- उल्लू को दिन में और कौए को रात में दिखाई नहीं देता , किन्तु जो कामान्ध होते हैं उन्हें न तो दिन में दिखाई देता है और न रात में ऐसे व्यक्तियों के मन यंत्रणा , आशंका , चिंता , ग्लानि , अपराधबोध एवं पश्चाताप की भावना व याचनापूर्ण विचारों से भरे हुए होते हैं ।
- अबोध या नाबालिगों अथवा समलैंगिकों के साथ बचपन में भी मेरे मन में कभी वह इच्छा जागृत नहीं हुई किन्तु ( कु ) मित्र बताया बताया करते थे कि कामान्ध व्यक्ति को उसमें भी मज़ा आता है किन्तु वह मैंने कभी नहीं किया जबकि मेरे कुछेक मित्र और जिनकी बदौलत ही मैं इस तथाकथित आनंद को संसार का सर्वोपरि आनंद और ...
- यहाँ कोई तीन या चार फ्लाईट आती होगी दिन भर में , कुछ इतनी ही सुविधाए दिखाई दी थी मुझे, हाँ फर्क जो बड़ा महसूस हुआ वह कामान्ध राजा और रेगिस्तान की छिपकली सखी, तुम्हारी कौमार्य अवस्था के कारण इस कथा को सुनते समय मन में श्लील-अश्लील के राग उत्पन्न हो सकते हैं किंतु ये महज मनोवेग हैं और परिस्थितियों के अनुरूप बदलते रहते हैं।
- वह माली तो दो-चार बार यह भूल करने के बाद किसी के समझाने पर सँभल भी गया होगा , फिर वही-की-वही भूल नही दोहराई होगी , परन्तु आज तो कई लोग वही भूल दोहराते रहते हैं | अंत में पश्चाताप ही हाथ लगता है | क्षणिक सुख के लिये व्यक्ति कामान्ध होकर बड़े उत्साह से इस मैथुनरूपी कृत्य में पड़ता है परन्तु कृत्य पूरा होते ही वह मुर्दे जैसा हो जाता है | होगा ही |