कारसाज़ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वह पूरब का रब और पश्चिम का रब , उसके सिवा कोई मअबूद नहीं तो तुम उसी को अपना कारसाज़ बनाओ ( 14 ) { 9 } ( 14 ) और अपने काम उसी को सौंप दो .
- अता फ़रमाई और उसे बनी इस्राईल के लिये हिदायत किया कि मेरे सिवा किसी को कारसाज़ न ठहराओ { 2 } ऐ उनकी औलाद जिनको हमने नूह के साथ ( 8 ) ( 8 ) किश्ती में ,
- इस तरह से हमारा दूसरों से तअल्लुक़ भी बहाल हो जायेगा और हम हर क़िस्म की तशवीश , कशमकश और इज़तेराब ख़त्म हो जायेगा और यह हक़ीक़ी तौहीद का एक बेहतरीन , ख़ूबसूरत तरीन , कारसाज़ तरीन और अहम तरीन जलवा है।
- इस तरह से हमारा दूसरों से तअल्लुक़ भी बहाल हो जायेगा और हम हर क़िस्म की तशवीश , कशमकश और इज़तेराब ख़त्म हो जायेगा और यह हक़ीक़ी तौहीद का एक बेहतरीन , ख़ूबसूरत तरीन , कारसाज़ तरीन और अहम तरीन जलवा है।
- चाहती कि उसकी हर कामना के कारसाज़ के रूप में वह उसके भीतर पैठ जाए , ताकि उसके हर भोगविलास और आनंद को उसी की आंखों से देख सके , कानों से सुन सके , उसके सुख को भोग सके और हर कामयाबी को बांट सके।
- “ पुलिसवाला ' लुप्तप्राय ' प्रजाति का संवेदनशील पुलिसमैन था , फूट पड़ा , ” लगता है आप ने किसी कारसाज़ दरोगा का इंटरव्यू नहीं लिया है , जो किसी को पकड़ते समय उससे कहता है कि पकड़ने हेतु ला की धारा तो हम फुर्सत में देखते हैं जब आदमी को सींखचों के अंदर डाल चुके होते हैं।
- तुम्हें खोकर , खो दिया सब कुछ! - चण्डीदत्त शुक्ल एक डूबता हुआ सूरज फिर खिल उठा खुल गए कई बंद रास्ते न, तुम कहां आए आई बस ज़रा-सी याद तुम्हारी और दिन थम गया रात रुक गई सांस चलने लगी तेज़, और तेज़ एक तुम्हारी याद इतनी कारसाज़ तो सोचो मुकम्मल तुम, हो कितनी अपूर्व अतुलनीय प्रेम की बेमिसाल तस्वीर पूरी की पूरी तुम इसीलिए इतनी दृढ़?
- और अल्लाह पर भरोसा रखो और अल्लाह बस है कारसाज़ ( काम बनाने वाला ) { 48 } ऐ ईमान वालों जब तुम मुसलमान औरतों से निकाह करो फिर उन्हे बे हाथ लगाए छोड़ दो तो तुम्हारे लिये कुछ इद्दत नहीं जिसे गिनो ( 10 ) ( 10 ) इस आयत से मालूम हुआ कि अगर औरत को क़ुर्बत या सोहबत से पहले तलाक़ दी तो उसपर इद्दत वाजिब नहीं .
- हमारी तौफ़ीक़ सिर्फ़ परवरदिगार से वाबस्ता है और उसी पर हमारा भरोसा है , वही हमारे लिये काफ़ी है और वही हमारा कारसाज़ है और यह काम माहे रजब 1432 हिजरी में इख़्तेताम को पहुंचा है ( माहे रजब में ही मौलाए कायनात हज़रत अली ( अ 0 ) की विलादत के मौक़े पर एक कोशिशे मेहनत है ) अल्लाह हमारे सरदार हज़रत ख़ातेमुल मुरसलीन और सिलसिलए हिदायत के सरचश्मों पर रहमत नाज़िल करे।
- - चण्डीदत्त शुक्ल एक डूबता हुआ सूरज फिर खिल उठा खुल गए कई बंद रास्ते न , तुम कहां आए आई बस ज़रा-सी याद तुम्हारी और दिन थम गया रात रुक गई सांस चलने लगी तेज़ , और तेज़ एक तुम्हारी याद इतनी कारसाज़ तो सोचो मुकम्मल तुम , हो कितनी अपूर्व अतुलनीय प्रेम की बेमिसाल तस्वीर पूरी की पूरी तुम इसीलिए इतनी दृढ़ ? जानती हो , ईश का अभिशाप मिला है मुझको न हो सकूंगा खुश निमिश भर को इसीलिए , नहीं आती हो मेरे जीवन में तुम क्षण भर के लिए भी ...