काष का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अब यह चाहता है के काष जो “ ाख़्स इससे माल की बिना पर हसद कर रहा था यह माल उसके पास होता और इसके पास न होता।
- काष ! इस दुनिया में भगवान नामक जीव होता.वैसे ऐसा लगता तो नहीं.ईश्वर है पर ये तो पण्डे पुजारीयों को धंधे हैं.अगर ये होते तो ये कमीने नेता,तानाशाह नौकर ज़िंदा होते????!!!!
- मैंने तुम्हें तहकीम के बारे में अपनी राय से बाख़बर कर दिया था और अपनी क़ीमती राय का निचोड़ बयान कर दिया था लेकिन ऐ काष “ क़सीर ” के हुक्म की इताअत की जाती।
- मैं और समय काष ! समय रूक जाता पलकों में आकर छिप जाता बड़े-बड़े वृक्ष होते ये अम्बर को छूते इनकी षीतल छाया होती प्रभु की कुछ माया होती मैं और सिर्फ समय होता मैं हंसता , वह रोता।
- तो तुम्हारी राय भटक गई और तुम्हारे उमूर में इन्तेषार पैदा हो गया और मैं यह चाहने लगा के काष अल्लाह मेरे और तुम्हारे दरम्यान जुदाई डाल देता और मुझे उन लोगों से मिला देता जो मेरे लिये ज़्यादा सज़ा थे।
- काष इसे इस्लाम के इस क़ानून की इत्तेलाअ होती के क़र्ज़ की अदायगी में जब्र नहीं किया जाता है बल्कि हालात का इन्तेज़ार किया जाता है और जब मक़रूज़ के पास इमकानात फ़राहम हो जाते हैं तब क़र्ज़ का मुतालबा किया जाता है।
- इसमें एक दलित के दुख को सती प्रथा से समीकृत किया गया है और जाहिर है इस प्रथा की दारुणता बेमतलब की साबित हुई हैः काष ! तुम किसी दलित के घर पैदा होते विषेषकर दलितों में दलित कहे जाने वाले भंगी के घर।
- काष ! कुछ ऐसा होता समय मेरे आंचल में सोता मेरी धारा में सब बहते मैं कहता वो करते पतझड़ में भी फूल खिलते कभी किसी के आंसू न गिरते बंद पलकों में समय होता मैं चलता , वह सोता काष ! कुछ ऐसा होता।।
- काष ! कुछ ऐसा होता समय मेरे आंचल में सोता मेरी धारा में सब बहते मैं कहता वो करते पतझड़ में भी फूल खिलते कभी किसी के आंसू न गिरते बंद पलकों में समय होता मैं चलता , वह सोता काष ! कुछ ऐसा होता।।
- काष ! सती होने की अपेक्षा वह आगत के प्रश्ठों पर एक और मदर टेरेसा बन चमकती, बैसाखियों के सहारे चलने वालों के लिये फ़िर किसी फ़्लोरेंस नाइटिन्गेल का जन्म होता, शौर्य की गाथा को दोहराने एक बार फ़िर झाँसी की रानी बन धरती पर अवतरित होती।