कुभा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पूर्व से सिन्धु नदी में सीधे मिलने वाली तीन नदियाँ वितस्ता ( झेलम ), परुष्णी (रावी ) और शतद्रु (सतलुज ) (उपनदियों के साथ) और पश्चिम से भी तीन सुवास्तु (स्वात), कुभा (काबुल) और गोमती (गोमल) हैं।
- उनके मत में ऋग्वेद में कुभा ( काबुल), सुवास्तु (स्वात), क्रमु (कुर्रम), गोमती (गोमल), सिन्धु, गंगा, यमुना सरस्वती तथा पंजाब की पाँच नदियों शतुद्रि (सतलुज), विपाशा (व्यास), परुष्णी (रावी), असिवनी (चनाब) और वितस्ता (झेलम) का उल्लेख है।
- इसी सूक्त में पश्चिम से आकार सिंधु में मिलने वाली अथवा सिंधु के परवर्ती क्षेत्र में बहने वाली नदियों क्रुम , गोमती , कुभा , तुष्टामा , सुसर्तु रसा , श्वेती और मेहत्नु की भी चर्चा है।
- इसी सूक्त में पश्चिम से आकार सिंधु में मिलने वाली अथवा सिंधु के परवर्ती क्षेत्र में बहने वाली नदियों क्रुम , गोमती , कुभा , तुष्टामा , सुसर्तु रसा , श्वेती और मेहत्नु की भी चर्चा है।
- ऋग्वेद के नदीसूक्त ( 10/75) में आर्यनिवास में प्रवाहित होनेवाली नदियों का एकत्र वर्णन है जिसमें मुख्य ये हैं - कुभा (काबुल नदी), क्रुगु (कुर्रम), गोमती (गोमल), सिंधु, परुष्णी (रावी), शुतुद्री (सतलज), वितस्ता (झेलम), सरस्वती, यमुना तथा गंगा।
- ऋग्वेद के नदीसूक्त ( 10/75) में आर्यनिवास में प्रवाहित होनेवाली नदियों का एकत्र वर्णन है जिसमें मुख्य ये हैं - कुभा (काबुल नदी), क्रुगु (कुर्रम), गोमती (गोमल), सिंधु, परुष्णी (रावी), शुतुद्री (सतलज), वितस्ता (झेलम), सरस्वती, यमुना तथा गंगा।
- ऋग्वेद के नदीसूक्त ( 10/75) में आर्यनिवास में प्रवाहित होनेवाली नदियों का एकत्र वर्णन है जिसमें मुख्य ये हैं - कुभा (काबुल नदी), क्रुगु (कुर्रम), गोमती (गोमल), सिंधु , परुष्णी (रावी), शुतुद्री (सतलज), वितस्ता (झेलम), सरस्वती , यमुना तथा गंगा ।
- इस ' कुभा ' शब्द का स्रोत सही मालूम नहीं है लेकिन १ ९ वीं सदी के ब्रिटिश इतिहासकार अलेकज़ैन्डर कनिन्घम ( Alexander Cunningham ) के अनुसार यह स्किथी भाषा के ' कु ' शब्द से आया है , जिसका मतलब ' पानी ' था।
- इस ' कुभा ' शब्द का स्रोत सही मालूम नहीं है लेकिन १ ९ वीं सदी के ब्रिटिश इतिहासकार अलेकज़ैन्डर कनिन्घम ( Alexander Cunningham ) के अनुसार यह स्किथी भाषा के ' कु ' शब्द से आया है , जिसका मतलब ' पानी ' था।
- एक समय कपिल का अर्थ गिरिद्धार या दर्रे से भी लिया जाने लगा था सिन्धु की सहायक कुभा का नाम पूर्वकाल में कपिला भी था , उसके तट के नगर कपिल के हिज्जे बिगाडकर कबिल और कालान्तर में काबूल हो गया आज उस सहायक नदी को काबुलनदी कहते है ।