कृतु का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भारतीय वाङ्गमय में विवरण मिलता है कि ब्रह्मा और कृतु के विवाद के समय ज्योतिर्निगात्मक शिव का जगत् प्रादुर्भाव हुआ , जब ब्रह्मा जी ने अहंकारवश अपने पांचवें मुख से शिवजी का अपमान किया तब उनको दंड देने के लिए उसी समय भगवान शिव की आज्ञा से भैरव की उत्पत्ति हुई।
- ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचने का दृढ़ संकल्प किया और उनके मन से मरीचि , नेत्रों से अत्रि , मुख से अंगिरा , कान से , पुलस्त्य , नाभि से पुलह , हाथ से कृतु , त्वचा से भृगु , प्राण से वशिष्ठ , अँगूठे से दक्ष तथा गोद से नारद उत्पन्न हुये।
- पुराणों के अनुसार ब्रह्माजी के मानस पुत्र : - मन से मारिचि , नेत्र से अत्रि , मुख से अंगिरस , कान से पुलस्त्य , नाभि से पुलह , हाथ से कृतु , त्वचा से भृगु , प्राण से वशिष्ठ , अंगुषठ से दक्ष , छाया से कंदर्भ , गोद से नारद , इच्छा से सनक , सनन्दन , सनातन , सनतकुमार , शरीर से स्वायंभुव मनु , ध्यान से चित्रगुप्त आदि।