कृपानिधि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्रिय की लाख उपेक्षा और निष्ठुरता के बावजूद वह विचलित नहीं होते , बल्कि कविता में व्यंग्य का दंश गहरा और यथार्थवादी हो जाता है - ‘‘ मोसों तुम्हैं सुनौ जान कृपानिधि नेह निबाहिबो यौं छवि पावै।
- जब-जब होई धरम के हानि बाड़हिं अधम असुर अभिमानी करहीं अनीति जाई नहीं बरनी सीदहीं विप्र धेनु सुर धरनी तब-तब प्रभु धरि विविध शरीरा हरहिं कृपानिधि सज्जन पीड़ा संत कवि तुलसीदास जी कहते हैं कि जब धरती पर पाप काफी बढ़ जाता है तो भगवान विभिन्न रूपों में अवतार लेकर धरती के भार का हरण करते हैं।