कौषीतकी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ये हैं केन , कठ , प्रश्न , मण्डूक , माण्डूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छान्दोग्य , कौषीतकी , श्वेताश्वतर और मैत्रायणी।
- कौषीतकी उपनिषद् में [ [ Matsya | मत्स्य महाजनपद ]] के साथ ही “ [[ Vasha | वश ]] ” का भी उल्लेख किया गया है।
- ( 2 . ) कौषीतकी उपनि षद् - यह उपनि षद् ऋग् वेद के कौषीतकी आरण् यक के तृतीय से षष् ठ अध् याय तक का अंश है ।
- ( 2 . ) कौषीतकी उपनि षद् - यह उपनि षद् ऋग् वेद के कौषीतकी आरण् यक के तृतीय से षष् ठ अध् याय तक का अंश है ।
- कौषीतकी उपनिषद् में कर्मनियम का स्पष्ट उल्लेख है कि जीव अपने कर्म और ज्ञान के अनुसार कीड़े , पतंगे, मछली, पक्षी, सिंह, सर्प और मनुष्य आदि योनियों में जन्म लेते हैं।
- उपनिषदों की कुल ज्ञात संख्या 18 है जिनमें ये दस प्रमुख हैं-ईश , बृहदारण्यक , ऐतरेय , कौषीतकी , केन , छांद्योग्य , तैत्तरीय , कठ , मंड्रक , और मांडूक्य।
- उपनिषदों की कुल ज्ञात संख्या 18 है जिनमें ये दस प्रमुख हैं-ईश , बृहदारण्यक , ऐतरेय , कौषीतकी , केन , छांद्योग्य , तैत्तरीय , कठ , मंड्रक , और मांडूक्य।
- आगे चलकर जो अनेक ब्राह्मण ग्रन्थ लिखे गए थे , उनमें से एक है कौषीतकी ब्राह्मण और उसी कौषीतकी ब्राह्मण में श्वेतकेतु को यज्ञ संस्था का एक प्रमुख आचार्य माना गया है।
- आगे चलकर जो अनेक ब्राह्मण ग्रन्थ लिखे गए थे , उनमें से एक है कौषीतकी ब्राह्मण और उसी कौषीतकी ब्राह्मण में श्वेतकेतु को यज्ञ संस्था का एक प्रमुख आचार्य माना गया है।
- कौषीतकी ब्राह्मण में ऐसे लोगों को असुर कहा गया है | जो दान न करे वह असुर है , अतः असुर और दास दोनों का तात्पर्य दुष्ट अपराधी जनों से है |