गंड़ासा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- नन्हकू गंड़ासा कंधे पर से और ऊंचा करके मलूकी से बोला-”मलुकिया देखता है , अभी जा ठाकुर से कह दे, कि बाबू नन्हकूसिंह आज यहीं लगाने के लिए खड़े हैं| समझकर आवें, लड़के की बारात
- जब माधो पांड़ें ठंड की रात में अपने गुर्गों के साथ अलाव ताप रहे थे , रजुली ( संजीवना की पत्नी ) गंड़ासा लेकर आती है और माधो पांड़े के गले पर प्रहार करती है।
- - आपके अनुसार ‘ दामुल ' में सबसे अहम दृश् य. .. - जब नायक संजीवना की पत्नी रजुली मुखिया को मारने गंड़ासा लेकर पहुंचती है , मारते हुए चिल्लाती है , वह दृश् य.
- एक दिन मोहनदासजी और उदयरामजी - दोनों अपने खेत में काम कर रहे थे कि मोहनदासजी बोले , ` उदयराम ! मेरे पीछे तो कोई देव पड़ा है , जो मेरा गंड़ासा छीनकर फेंक देता है।
- जांघिया पहने हुए , बदन में केवल एक मोटे कपड़े की नीमास्तीन , ढाल-तलवार लगाए और हाथों में एक-एक गंड़ासा लिए हुए थे , और सभी की बगल में एक-एक छोटा बटुआ भी लटक रहा था।
- लाठी , भाला , बल्लम , गंड़ासा , बर्छी , रम्मा , टांगी , कुदारी , र्इंट , पत्थर से लैस इस जन समूह में कुछ लोग मिट्टी की हाड़ी में हड्डा , हड्डी , चिंउटा , और बिच्छू भी लेकर चले आ रहें थें।
- लाठी , भाला , बल्लम , गंड़ासा , बर्छी , रम्मा , टांगी , कुदारी , र्इंट , पत्थर से लैस इस जन समूह में कुछ लोग मिट्टी की हाड़ी में हड्डा , हड्डी , चिंउटा , और बिच्छू भी लेकर चले आ रहें थें।
- घर से चला तो मेरे पास सामान के नाम पर घोड़ी , मोहरों वाली थैली , कांसे का एक गहरा बर्तन , रस्सी -बाल्टी , तीन कटोिरयां , लोहे का एक बर्तन और एक चम्मच , दो जोड़ी कपड़े , नई पगड़ी , छोटा गंड़ासा और एक जोड़ी जूते थे .
- घर से चला तो मेरे पास सामान के नाम पर घोड़ी , मोहरों वाली थैली, कांसे का एक गहरा बर्तन, रस्सी -बाल्टी, तीन कटोिरयां, लोहे का एक बर्तन और एक चम्मच, दो जोड़ी कपड़े, नई पगड़ी, छोटा गंड़ासा और एक जोड़ी जूते थे.सीताराम की आत्मकथा में किताब में अंग्रेजों के नाम भी भारतीय उच्चारण के साथ ही बदले-बदले नजर आते हैं, मसलन अजूटन साहब,अडम्स साहब, बर्रमपील साहब, मरतिंदल साहब...
- दूसरे दिन राजा चेतसिंह के पास रेजीडेंट मार्कहेम की चिट्ठी आई , जिसमे नगर की दुर्व्यवस्था की कड़ी आलोचना थी| डाकुओं और गुंडों को पकड़ने के लिए उनपर कड़ा नियंत्रण रखने की सम्मति भी थी| कुबरा मौलवी वाली घटना का भी उल्लेख था| उधर हेस्टिंग्स के आने की भी सूचना थी|शिवालय घाट और रामनगर में हलचल मच गई| कोतवाल हिम्मतसिंह, पागल की तरह, जिसके हाथ में लाठी लोहांगी, गंड़ासा, बिछुआ और करौली देखते, उसी को ही पकड़ने लगे|