ग़लत-सलत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वास्तव में , जब नन्दीग्राम और सिंगूर के समय किसान प्रश्न पर एक बहस शुरू हुई थी तो माकपा के बुद्धिजीवी मार्क् सवादी-लेनिनवादी पार्टियों के अधकचरे बुद्धिजीवियों पर हावी हो गये थे , और वह भी मार्क् सवाद को विकृत करके और ग़लत-सलत तर्क और तथ्य देते हुए !
- लेकिन उन्होंने अपने बुंदेले होने को उस तरह साहित्यिक या भाषाई वैधता या रियायत की रिरियाती राजनीति का धंधा नहीं बनाया , जैसा हिंदी के विरुद्ध असफल नमकहराम षड्यंत्र कर रहे, ग़लत-सलत भाषा लिखनेवाले कुछ चालाक, दोमुंहे, प्रतिभाशून्य हुडुकलुल्लू-मार्का कवि-लेखक लोक-लोक करते हुए अपनी आंचलिक भाषाओँ को बनाए डाल रहे हैं.
- लेकिन उन्होंने अपने बुंदेले होने को उस तरह साहित्यिक या भाषाई वैधता या रियायत की रिरियाती राजनीति का धंधा नहीं बनाया जैसा हिंदी के विरुद्ध असफल नमकहराम षड्यंत्र कर रहे , ग़लत-सलत भाषा लिखनेवाले कुछ चालाक , दोमुंहे , प्रतिभाशून्य हुडुकलुल्लू-मार्का कवि-लेखक लोक-लोक करते हुए अपनी आंचलिक भाषाओँ को बनाए डाल रहे हैं .
- लेकिन उन्होंने अपने बुंदेले होने को उस तरह साहित्यिक या भाषाई वैधता या रियायत की रिरियाती राजनीति का धंधा नहीं बनाया जैसा हिंदी के विरुद्ध असफल नमकहराम षड्यंत्र कर रहे , ग़लत-सलत भाषा लिखनेवाले कुछ चालाक , दोमुंहे , प्रतिभाशून्य हुडुकलुल्लू-मार्का कवि-लेखक लोक-लोक करते हुए अपनी आंचलिक भाषाओँ को बनाए डाल रहे हैं .
- चला जो तीर बेसबब , बहा जो नीर बेसबब उठी जो अह्ले-अम्न के दिलों में पीर बेसबब कहीं पे कुछ घटा नहीं , कहीं पे कुछ बढ़ा नहीं यहाँ पे मीर बेसबब , यहाँ कबीर बेसबब न जाने क्या लिखा गया , न जाने क्या पढ़ा गया जहाँ में यार अम्न की किताब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !
- चला जो तीर बेसबब , बहा जो नीर बेसबब उठी जो अह्ले-अम्न के दिलों में पीर बेसबब कहीं पे कुछ घटा नहीं , कहीं पे कुछ बढ़ा नहीं यहाँ पे मीर बेसबब , यहाँ कबीर बेसबब न जाने क्या लिखा गया , न जाने क्या पढ़ा गया जहाँ में यार अम्न की किताब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !
- चला जो तीर बेसबब , बहा जो नीर बेसबब उठी जो अह्ले-अम्न के दिलों में पीर बेसबब कहीं पे कुछ घटा नहीं , कहीं पे कुछ बढ़ा नहीं यहाँ पे मीर बेसबब , यहाँ कबीर बेसबब न जाने क्या लिखा गया , न जाने क्या पढ़ा गया जहाँ में यार अम्न की किताब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !
- न फूल की न ख़ार की , न जुस्तजू बहार की जिगर को अब कोई तलब , न जीत की न हार की उदास है कली इधर , ग़ुलों में बेक़ली उधर जली-बुझी , बुझी-जली , है शम्अ इंतज़ार की न जाने वो कहाँ गया , न जाने मैं कहाँ गया हुआ है ज़िन्दगी में सब ख़राब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !
- न फूल की न ख़ार की , न जुस्तजू बहार की जिगर को अब कोई तलब , न जीत की न हार की उदास है कली इधर , ग़ुलों में बेक़ली उधर जली-बुझी , बुझी-जली , है शम्अ इंतज़ार की न जाने वो कहाँ गया , न जाने मैं कहाँ गया हुआ है ज़िन्दगी में सब ख़राब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !
- न फूल की न ख़ार की , न जुस्तजू बहार की जिगर को अब कोई तलब , न जीत की न हार की उदास है कली इधर , ग़ुलों में बेक़ली उधर जली-बुझी , बुझी-जली , है शम्अ इंतज़ार की न जाने वो कहाँ गया , न जाने मैं कहाँ गया हुआ है ज़िन्दगी में सब ख़राब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !