चकवड़ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- एक आदमी सुंदर आधुनिक विन्यास में एक खाली जगह में चकवड़ के पौधे उगा देता है तो रंगबिरंगी तितलियाँ उस जगह आने लगती हैं और उस आदमी को पहचान कर उसके कन्धों और सर पर इस तरह छा जाती हैं जैसे ऐसा हो ही न सकता हो।
- एक आदमी सुंदर आधुनिक विन्यास में एक खाली जगह में चकवड़ के पौधे उगा देता है तो रंगबिरंगी तितलियाँ उस जगह आने लगती हैं और उस आदमी को पहचान कर उसके कन्धों और सर पर इस तरह छा जाती हैं जैसे ऐसा हो ही न सकता हो।
- साधारण जीवन की छवियां- जगह , चकवड़ के पौधे, जानवर, गर्मियों की शाम, बंधी पर सौ सांप, डंडे, प्यास, हिजड़े दोस्त- कविता का शिल्प रूपायित कर इस आत्मीय सचाई ‘जगह के बाहर मुलाक़ातें नहीं हो सकतीं' और इस दार्शनिक सत्य तक पहुंचाता है कि जगह के बाहर ‘न दोस्त होते हैं, न लोग होते हैं, न होना होता है, न न होना होता है'।
- साधारण जीवन की छवियां- जगह , चकवड़ के पौधे, जानवर, गर्मियों की शाम, बंधी पर सौ सांप, डंडे, प्यास, हिजड़े दोस्त- कविता का शिल्प रूपायित कर इस आत्मीय सचाई ‘जगह के बाहर मुलाक़ातें नहीं हो सकतीं' और इस दार्शनिक सत्य तक पहुंचाता है कि जगह के बाहर ‘न दोस्त होते हैं, न लोग होते हैं, न होना होता है, न न होना होता है'।
- साधारण जीवन की छवियां- जगह , चकवड़ के पौधे , जानवर , गर्मियों की शाम , बंधी पर सौ सांप , डंडे , प् यास , हिजड़े दोस् त - कविता का शिल् प रूपायित कर इस आत् मीय सचाई ‘ जगह के बाहर मुलाक़ातें नहीं हो सकतीं ' और इस दार्शनिक सत् य तक पहुंचाता है कि जगह के बाहर ‘ न दोस् त होते हैं , न लोग होते हैं , न होना होता है , न न होना होता है ' ।
- साधारण जीवन की छवियां- जगह , चकवड़ के पौधे , जानवर , गर्मियों की शाम , बंधी पर सौ सांप , डंडे , प् यास , हिजड़े दोस् त - कविता का शिल् प रूपायित कर इस आत् मीय सचाई ‘ जगह के बाहर मुलाक़ातें नहीं हो सकतीं ' और इस दार्शनिक सत् य तक पहुंचाता है कि जगह के बाहर ‘ न दोस् त होते हैं , न लोग होते हैं , न होना होता है , न न होना होता है ' ।