चक्रमर्द का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- चक्रमर्द के पौधे बारिश के मौसम में उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में परित्यक्त भूमि पर , कूडे करकट , नदी नालों के किनारे और हमेशा समूह में उगते हुए मिलते हैं।
- चक्रमर्द के बीज तथा पत्ते दोनों में क्राइसोफैनिक एसिड की तरह का एक ग्लूकोसाइड , पत्ते में कैथार्डीन के समान एक सत्व , एक रंजक द्रव्य और खनिज द्रव्य होते हैं।
- 1 किलो पवांड़ ( चक्रमर्द ) के बीजों का बारीक चूर्ण , 2 मिलीलीटर गाय के दूध में मिलाकर उसमें 200 ग्राम गाय का घी तथा 20 ग्राम गंधक को अच्छी तरह मिला लें।
- 10 से 20 ग्राम चक्रमर्द ( पवांड़ ) के बीजों को तक्र ( छाछ या मठ्ठा ) में भिगो दें , जब ये फूल जाये , तो इन्हें पीसकर लेप ( उबटन ) बना लें , फिर इसे दाद पर लगा लें , 1 घण्टे के बाद फिटकरी को मल दें और गर्म पानी से धो दें।
- पवांड़ ( चक्रमर्द ) की 200 ग्राम पंचाग ( जड़ , तना , पत्ता , फल और फूल ) को अच्छी तरह कूटकर , 400 ग्राम मक्खन वाली दही में मिलाकर 3 से 4 दिनों तक मिट्टी के बर्तन में रख दें , फिर 4 - 5 दिनों के बाद इस लेप को दाद के स्थान पर मले और 1 घंटे के बाद पानी से धो डालें , इससे कुछ ही दिनों में ही दाद समाप्त हो जाता है।