चमरौधा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- खड़ाऊं , चट्टी , चमरौधा जूता से होते हुये गुक्की जूतों तक की यात्रा की चर्चा बिना यह जूता जिज्ञासा अगर सिमट गई तो नीक नहीं लगेगा।
- ह्यूम न बचते अगर उनके हिन्दुस्तानी साथियों ने उन्हें चमरौधा जूता न पहनाया होता , पगड़ी न बांधी होती और वेष बदलकर अपने साथ लेकर न पहुंचाया होता सुरक्षित स्थान पर।
- ऋषि के मुँह से चीख निकल गयी : ' आह , मैं मरा ! ' जहाँ से चमरौधा गिरा था , वहीं हँसी-भरी आवाज़ आयी : ' जा , अब ठीक है।
- ' बिवाई पड़े पांवों में चमरौधा जूता,मैली-सी धोती औरमैला ही कुरता,हल की मूठ थाम-थाम कर सख्त और खुरदुरे पड़ चुके हाथ और कंधे परअंगोछा ,यह खाका ठेठ हिन्दुस्तानी का नहीं जनकवि अदम गोंडवी का भी है।
- सुविधा की तहजीब से बाहर जहाँ चौधरी अपना चमरौधा उतार गये हैं कविता में वहीँ कहीं नफरत का एक डरा हुआ बिन्दु है आप उसे छुओ; वह कुनमुनायेगा आप उसे कोंचो वह उठ खड़ा होगा . ..............................
- जैसे निराला की हीनताओं और विभाजित व्यक्तित्व की आप सहानुभूति से परख करते हैं और कविता में चमरौधा जूता आपको दुस्साहसिक प्रयोग लगता है , लेकिन मुक्तिबोध की परेशानियाँ, यहाँ तक कि बीड़ी की तलब पर आप व्यंग्य करते हैं।
- एक महाशय , जिनके सिर पर पंजाबी ढंग की पगड़ी थी, गाढ़े का कोट और चमरौधा जूता पहने हुए थे, आगे बढ़ आये और नेतृत्व के भाव से बोले-महायाय, इस बैंक के फेलियर ने कितने ही इंस्टीट्यूशनों को समाप्त कर दिया।
- जैसे निराला की हीनताओं और विभाजित व्यक्तित्व की आप सहानुभूति से परख करते हैं और कविता में चमरौधा जूता आपको दुस्साहसिक प्रयोग लगता है , लेकिन मुक्तिबोध की परेशानियाँ , यहाँ तक कि बीड़ी की तलब पर आप व्यंग्य करते हैं।
- युग-युग जियो डाकिया भैया , सांझ सबेरे इहै मनाइत है.....हम गंवई के रहवैयापाग लपेटे, छतरी ताने, कांधे पर चमरौधा झोला,लिए हाथ मा कलम दवाती, मेघदूत पर मानस चोलासावन हरे न सूखे कातिक, एकै धुन से सदा चलैया......शादी, गमी, मनौती, मेला, बारहमासी रेला पेलापूत
- युग-युग जियो डाकिया भैया , सांझ सबेरे इहै मनाइत है.....हम गंवई के रहवैयापाग लपेटे, छतरी ताने, कांधे पर चमरौधा झोला,लिए हाथ मा कलम दवाती, मेघदूत पर मानस चोलासावन हरे न सूखे कातिक, एकै धुन से सदा चलैया......शादी, गमी, मनौती, मेला, बारहमासी रेला पेलापूत...