चरण-धूलि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जरा गौर कीजिए माखनलालजी उस देशभक्ति को व्यक्त करते हैं , जिसमें ' कोई चाह नहीं ` और यदि चाह है तो यही कि मातृभूमि पर शीश चढ़ाने के लिए जानेवालों की चरण-धूलि मिल जाए।
- उसी राजपथ पर खुले आकाश के नीचे प्रभात के प्रकाश में परेशबाबू के शांत , सौम्य , स्नेहपूर्ण चेहरे को देखकर उसने जिस भक्ति और आनंद से उनकी चरण-धूलि ली वैसे पहले कभी नहीं ली थी।
- छत्तीसगढ़ में बौद्ध पुरावशेषों की चर्चा का आरंभ नेपाली परम्परा के एक अपेक्षाकृत परवर्ती ग्रन्थ ' ' अवदान शतक '' के उल्लेख से किया जाना उपयुक्त होगा , जिसके अनुसार बुद्ध की चरण-धूलि से दक्षिण कोसल अर्थात् वर्तमान छत्तीसगढ़ की भूमि भी पवित्र हुई है।
- दादा किसी भी क्षण मेरी पकड़ से छूट , अपनी में गायब हो सकते थे, इसीलिए उनसे बेमतलब की बहस में उलझने की जगह मैंने आंखें तरेरकर दूर खड़े तोमास से अपनी खीझ का इशारा किया, जाने पेल्लेग्रिनी ने क्या समझा, अगले ही क्षण वह कमर से झुका, दादा की चरण-धूलि ले रहा था.
- वह उसकी कृपा का अहसान लेना भी नहीं चाहती है-मुझे वांछित नहीं तुम्हारी चरण-धूलि / लौटा लो अपना कृपापूर्ण उपकार / तुम्हारा वरदान मुझे जीवन दे / इसे मैं षिला ही भली विष्णु अवतार ! इन कविताओं में जिस तरह से मुखरित रूप में स्त्री पक्ष आया है उसे देखकर यह लगता है कि ये कविताएं जैसे किसी स्त्री ने लिखी हों।
- गिट्टी और कबाड़ हिला कर , दायें से खींच , बायें किसी कोने पहुंचाकर , जगह और गरीब का धन निकालकर , तम् बू-तिरपाल सजेगा , बाबा की अगवानी को भागे-भागे कुछ स् थानीय गुंडे , व धनबाद से आयातित चंद राजनीतिक पंडे , बाबा की चरण-धूलि लेंगे , परमार्थ में , धर्मार्थ में , स् थानिक कल् चर को कृतार्थ करेंगे .
- प्रेमातुरभक्त उद्धव जी तो यहाँ तक कहते हैं कि जिन्होंने दुस्त्यज्य पति-पुत्र आदि सगे-सम्बन्धियों , आर्यधर्म और लोकलज्जा आदि सब कुछ का परित्याग कर श्रुतियों के अन्वेषणीय स्वयं-भगवान ब्रजेन्द्रनन्दन श्रीकृष्ण को भी अपने प्रेम से वशीभूत कर रखा है- मैं उन गोप-गोपियों की चरण-गोपियों की चरण-धूलि से अभिषिक्त होने के लिए इस वृन्दावन में गुल्म , लता आदि किसी भी रूप में जन्म प्राप्त करने पर अपना अहोभाग्य समझूँगा।
- क्या उन् होंने पश्चिम में मकदूनिया तथा मिश्र से पूरब में जापान त क , उत्तर में मंगोलिया से लेकर दक्षिण में बाली और बांका के द्वीपों तक को रौंदकर रख नहीं दिया ? जिस बृहत्तर-भारत के लिए हरेक भारतीय को उचित अभिमान है , क्या उसका निर्माण इन् हीं घुमक्कड़ों की चरण-धूलि ने नहीं किया ? केवल बुद्ध ने ही अपनी घुमक्कड़ी से प्रेरणा नहीं दी , बल्कि घुमक्कड़ों का इतना जोर बुद्ध से एक दो शताब्दियों पूर्व ही था , जिसके ही कारण बुद्ध जैसे घुमक्कड़-राज इस देश में पैदा हो सके।