चित्रभानु का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- शिव जी की कृपा से ही अपने इस जन्म में राजा चित्रभानु अपने पिछले जन्म को याद रख पाए तथा महाशिवरात्रि के महत्व को जान कर उसका अगले जन्म में भी पालन कर पाए।
- चित्रभानु , 16 वीं सदी, केरल ने परिणाम हासिल करने के लिए बीजगणितीय और ज्यामितीय दोनों रीतियों का प्रयोग किया और इसके द्वारा दो बीजगणितीय समीकरणों की 21 प्रकार की प्रणालियों के राशि हल दिए।
- शिव जी की कृपा से ही अपने इस जन्म में राजा चित्रभानु अपने पिछले जन्म को याद रख पाए तथा महाशिवरात्रि के महत्व को जान कर उसका इस जन्म में भी पालन कर पाए।
- चित्रभानु , 16 वीं सदी , केरल ने परिणाम हासिल करने के लिए बीजगणितीय और ज्यामितीय दोनों रीतियों का प्रयोग किया और इसके द्वारा दो बीजगणितीय समीकरणों की 21 प्रकार की प्रणालियों के राशि हल दिए।
- ज्ञात हो कि इससे पहले दो नवंबर को हुई बैठक में अजय दास , सुभाष अग्रवाल, नंद किशोर अग्रवाल, संजयनाथ, अशोक दास, ब्रजश्याम गुरु, अमरचंद्र शर्मा, बिरंची दास,अरुण आर्य, चिन्मय जोशी, चित्रभानु बेहेरा की मौजूदगी में आंदोलन करने का निर्णय लिया गया था।
- ऋषि ने जिज्ञासवस राजन से पूछा कि “हे राजन आप यह कौन सा व्रत अथ्वा पूजन का आयोजन कर रहें हैं तथा इस व्रत का क्या फल होता है ? ”इसके जबाव में चित्रभानु ने कहा कि “हे महात्मा, मैं इस व्रत का पालन इसलिए करता हूँ कि मुझे अपने पूर्वजन्म का स्मरण है।
- ३ ४ . ३३ ( कुनन्दन असुर कुमार द्वारा साम्ब पर १ ० , मधु पर ५ , बृहद्बाहु पर ३ , चित्रभानु पर ५ , वृक पर १ ० , अरुण पर ७ , सङ्ग्रामजित् पर ५ , सुमित्र पर ३ , दीप्तिमान् पर ३ , भानु पर ५ , वेदबाहु पर ५ , पुष्कर पर ७ , श्रुतदेव पर ८ , सुनन्दन पर २ ० , विरूप पर १ ० , चित्रभानु पर ९ , न्यग्रोध पर १ ० तथा कवि पर ९ बाणों द्वारा प्रहार ) , १ ० .
- ३ ४ . ३३ ( कुनन्दन असुर कुमार द्वारा साम्ब पर १ ० , मधु पर ५ , बृहद्बाहु पर ३ , चित्रभानु पर ५ , वृक पर १ ० , अरुण पर ७ , सङ्ग्रामजित् पर ५ , सुमित्र पर ३ , दीप्तिमान् पर ३ , भानु पर ५ , वेदबाहु पर ५ , पुष्कर पर ७ , श्रुतदेव पर ८ , सुनन्दन पर २ ० , विरूप पर १ ० , चित्रभानु पर ९ , न्यग्रोध पर १ ० तथा कवि पर ९ बाणों द्वारा प्रहार ) , १ ० .
- ३ ४ . ३३ ( कुनन्दन असुर कुमार द्वारा साम्ब पर १ ० , मधु पर ५ , बृहद्बाहु पर ३ , चित्रभानु पर ५ , वृक पर १ ० , अरुण पर ७ , सङ्ग्रामजित् पर ५ , सुमित्र पर ३ , दीप्तिमान् पर ३ , भानु पर ५ , वेदबाहु पर ५ , पुष्कर पर ७ , श्रुतदेव पर ८ , सुनन्दन पर २ ० , विरूप पर १ ० , चित्रभानु पर ९ , न्यग्रोध पर १ ० तथा कवि पर ९ बाणों द्वारा प्रहार ) , १ ० .
- ३ ४ . ३३ ( कुनन्दन असुर कुमार द्वारा साम्ब पर १ ० , मधु पर ५ , बृहद्बाहु पर ३ , चित्रभानु पर ५ , वृक पर १ ० , अरुण पर ७ , सङ्ग्रामजित् पर ५ , सुमित्र पर ३ , दीप्तिमान् पर ३ , भानु पर ५ , वेदबाहु पर ५ , पुष्कर पर ७ , श्रुतदेव पर ८ , सुनन्दन पर २ ० , विरूप पर १ ० , चित्रभानु पर ९ , न्यग्रोध पर १ ० तथा कवि पर ९ बाणों द्वारा प्रहार ) , १ ० .