छांदोग्य उपनिषद् का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- परंतु इसमें संदेह नहीं कि उस दीर्घकाल का अंत भी शतपथ ब्राह्मण के निर्माण के पहले ही हो गया था क्योंकि उस ब्राह्मण के अंतिम खंडों तथा तैत्तिरीय ब्राह्मण और छांदोग्य उपनिषद् में उसका उल्लेख हुआ है।
- क्या आप बहती नदी का एक हिस्सा दूसरे से अलग कर सकते हैं ? ” ( रामकृष्ण मिशन कलकत्ता के स्वामी सुनिर्मलानंद के आलेख में उद्धृत ) छांदोग्य उपनिषद् में प्रीतिकर कथा है- “ देव और असुर संघर्षरत थे।
- छांदोग्य उपनिषद् ( 7 - 2 - 1 ) के अनुसार , यदि वाणी का अस्तित्व न होता तो अच्छाई-बुराई का ज्ञान नहीं हो पाता , सच-झूठ का पता न चलता , सहृदय और निष्ठुर में भेद नहीं हो पाता।