छेकानुप्रास का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भामह द्वारा निरूपति ३ ९ अलंकारों में से इन्होंने आशी , उत्प्रेक्षावयव , उपमारूपक और यमक इत्यादि चार अलंकारों को छोड़ दिया है तथा पुनरुक्तवदाभास , छेकानुप्रास , लाटानुप्रास , काव्यहेतु , प्रतिवस्तूपमा , दृष्टांत और संकर , इन छह नवीन अलंकारों को लिया है।
- भामह द्वारा निरूपति ३ ९ अलंकारों में से इन्होंने आशी , उत्प्रेक्षावयव , उपमारूपक और यमक इत्यादि चार अलंकारों को छोड़ दिया है तथा पुनरुक्तवदाभास , छेकानुप्रास , लाटानुप्रास , काव्यहेतु , प्रतिवस्तूपमा , दृष्टांत और संकर , इन छह नवीन अलंकारों को लिया है।
- छेकानुप्रास ( सं . ) [ सं-पु . ] ( काव्यशास्त्र ) अनुप्रास अलंकार का एक भेद ; कविता में प्रयुक्त एक अलंकार ; जब वर्णों की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है तो वह छेकानुप्रास कहलाता है , जैसे- मुद मंगलमय संत समाजू।
- छेकानुप्रास ( सं . ) [ सं-पु . ] ( काव्यशास्त्र ) अनुप्रास अलंकार का एक भेद ; कविता में प्रयुक्त एक अलंकार ; जब वर्णों की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है तो वह छेकानुप्रास कहलाता है , जैसे- मुद मंगलमय संत समाजू।
- करना दया , हे विधना! मोरे साजन का हियरा दूखे ना, आज आँखों में गया बस, प्रीत का सपना नया, निज बाहुओं में नेह से, लहकी-लहकी मधुर जवानी हो, नील नभ सर में मुदित-मुग्धा, तप्त तन को वारिदों सी छाँह दी आदि अगणित पंक्तियों में 'छेकानुप्रास' की छबीली छटा सहज दृष्टव्य है.
- छेकानुप्रास की छटा उक्त उदाहरणों में देखिये : त- तु तो, क- कि क, क- कि की, द- दू दे, क- की को, क- के का, क- के कि, अ- आ अ, अ- अ आ, क- को कु, अ- आ अ, द- द दे, न- ना न, प- प पु, अ- अ आ आदि.