जपजी साहिब का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जपजी साहिब का अकाल मूरत एक द्रष्टा एवं साक्षी है जो निराकार है और जिस से एवं जिसमें सब होनें वाले हो - हो कर उसमें ही बिलीन भी होते रहते हैं ।
- हुकमी होवनि आकार हुकमी होवनि जीव जपजी साहिब के माध्यम से आदि गुरु जी कहरहे हैं - उसकी कृपा से जीवों का निर्माण हुआ है और उसकी कृपा से जीवों के अनंत स्वरुप देखनें को हैं ।
- आदि गुरु श्री नानकजी साहिब जपजी साहिब में कहते हैं - प्रभु के गुणगान को सुननें वाला - आत्मा - परमात्मा को समझता है . ... क्षेत्र - क्षेत्रग्य को जानता है .... प्रकृति - पुरुष को पहचानता है ...
- श्री जप जी साहिब श्री गुरु अंगद जी साहिब [ दुसरे गुरु ] आदि गुरु श्री नानक जी साहिब द्वारा रचित एवं गायी गयी कृतियों जो नाद - आधारित हैं , को संकलित करके एक नाम दिया , जिसको श्री जपजी साहिब नाम से जाना जाता है ।
- सुणिए दुःख पाप का नासु ॥ आदि गुरु श्री नानकजी साहिब जपजी साहिब के माध्यम से कह रहे हैं - सुननें से . ...... सिद्ध , पीर देवता और नाथ हैं ..... धरती धवल आकाश हैं ..... द्वीप , लोक और पातळ हैं .... मृत्यु पास नही आता .... भक्त आनंदित होते हैं .....
- श्री जपजी साहिब एक परम पथ है जपजी के माध्यम से आदि गुरु नानकजी साहिब एक ऐसा परम पवित्र मार्ग दिखाते हैं जो मनुष्य को रूपांतरित करता है और भोग - योग , भोग - भक्ति को अलग - अलग दिखाते हुए उस को भी दीखता है जहां दोनों मिलते भी हैं ।
- गीता कहता है - कर्म - योगी कर्म सिद्धि पर ज्ञान योग की परा निष्ठा में पहुँच कर प्रभु से परिपूर्ण हो जाता है [ गीता - 18.49 , 18.50 , 18.54 , 18.55 ] और जपजी साहिब अपरा भक्ति से परा भक्ति में पहुंचकर कहते हैं - अब तूं जान ले उस एक ओंकार को जो सत नाम है ।
- जागरण संवाददाता , लुधियाना गुरुद्वारा श्री दुख निवारण साहिब में बुधवार को नाम सिमरन अभ्यास समागम का आयोजन किया गया। इस दौरान दूर-दूर से संगत ने गुरु घर में अपनी हाजिरी भरी। समागम की शुरूआत में बीबी जसप्रीत कौर, बीबी अमरदीप कौर पटना वाले और भाई बलप्रीत सिंह ने गुरूबाणी शबद का कीर्तन करके संगत को निहाल किया। भाई राजिंदर पाल सिंह राजू वीर जी ने श्री जपजी साहिब व श्री चौपाई साहिब के पाठ संगति रूप में किए। वहीं भाई बलविंदर सिंह व भाई गुरदास गुरमति कालेज के विद्यंार्थियों ने श्री सुखमणि साहि