जम्भाई का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- रोगी को हल्की-हल्की ठण्ड लगने के साथ-साथ बुखार का आ जाना , शरीर का टूटा-टूटा सा लगना , हर समय जम्भाई सी आना , आंखों में जलन सी होना , आंखों से हर समय पानी आते रहना , रोगी को बार-बार छींके आती रहती है।
- आखिरकार , कैसे कोई यह बता सकता है कि कब जंभाई आएगी ? और जब वह जम्भाई आने पर चटकाने के लिए तैयार रहेगा तो इसका अर्थ है कि हनुमान एक पल के लिए भी न दूर रह सकता है न आराम कर सकता है।
- वातज्वर में शरीर का कांपना , मुख गले का सूखा रहना , नींद कम आना , पेट दर्द , कब्ज , अफारा , शरीर , पैर और सिर में पीड़ा ( भड़क ) , जम्भाई आना , छींक न आना आदि उपद्रव होते हैं ।
- वातज्वर में शरीर का कांपना , मुख गले का सूखा रहना , नींद कम आना , पेट दर्द , कब्ज , अफारा , शरीर , पैर और सिर में पीड़ा ( भड़क ) , जम्भाई आना , छींक न आना आदि उपद्रव होते हैं ।
- “ आवरण ” देख शरीर में एक अदॄश्य सी ' अँगड़ाई ' उभरने लगी।प्रकाशक जी द्वारा लिखित संक्षिप्त परिचय पढ़ा तो ' माथा भारी ' हो गया , प्रस्तावना पढ़ी तो पूरे बदन में एक “ जकड़न-सी होने लगी , प्रथम कहानी में ” जम्भाई ” दूसरी कहानी पढ़ हल्का-हल्का ज्वर।
- जम्भाई और अंगडाई लेता हुआ धीरे से बुदबुदाता है “आई हेड ए वेरी लांग डे ! .....” और जिस तेजी से उसका चेहरा तकिये से हवा में उछला था उसी तेजी से वह चेहरा तकिये पर आखें मूंदे पसर गया है और सुबह की रौशनी में कमल की तरह खिल उठा है ...
- जम्भाई और अंगडाई लेता हुआ धीरे से बुदबुदाता है “ आई हेड ए वेरी लांग डे ! ..... ” और जिस तेजी से उसका चेहरा तकिये से हवा में उछला था उसी तेजी से वह चेहरा तकिये पर आखें मूंदे पसर गया है और सुबह की रौशनी में कमल की तरह खिल उठा है ...
- सूरज उगे , न उगे / चाँद गगन में / उतरे न उतरे / तारे खेलें , न खेलें / चाहे धरती ही / क्यों न सो जाए / अन्तरिक्ष क्यों न जम्भाई लेने लगे / मेरी पलकें नहीं रुकेंगी कविता पड़ते समय एक बारगी तो लगा जैसे महाभारत में कृष्ण अर्जुन से बतिया रहे हों।
- रोगी को यदि विषम ज्वर हो तथा ठंड लगने की अवस्था में प्यास बहुत कम लग रही हो , जांघ में दर्द हो , पूरे शरीर से ठंड , कंपन और ठंडा लसदार पसीना निकल रहा हो , सारे शरीर में अधिक जलन हो रही हो , बुखार आने के समय में जम्भाई आ रही हो तो उपचार करने के लिए ऐण्टिम-टार्ट औषधि की 3 विचूर्ण या 6 शक्ति का उपयोग की जा सकती है।