जांजगीर-चांपा जिला का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- लीला-नाटकों के पेन्ड्रा , रतनपुर , सारंगढ़ , किकिरदा , मल्दा , बलौदा , राजिम , कवर्धा , बेमेतरा , राहौद , कोसा जैसे बहुतेरे केन्द्र थे , लेकिन पंडित शुकलाल पाण्डेय के ' छत्तीसगढ़ गौरव ' की उक्त पंक्तियों से छत्तीसगढ़ के तत्कालीन तीन प्रमुख रंगमंचों- नरियरा की कृष्णलीला , अकलतरा की रामलीला और शिवरीनारायण ( तीनों स्थान वर्तमान जांजगीर-चांपा जिला में ) के नाटक की प्रसिद्धि का सहज अनुमान होता है।