जैकारा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आडे-तिरछे खिसकते , अटकते , रेंगते , रुकते , चलते , जैकारा लगाते , भजन गाते करीब पौने बारह बजे जाकर हम गुफा के द्वार पर पहुंच पाये।
- आडे-तिरछे खिसकते , अटकते , रेंगते , रुकते , चलते , जैकारा लगाते , भजन गाते करीब पौने बारह बजे जाकर हम गुफा के द्वार पर पहुंच पाये।
- बापू के पहुँचने की देर थी कि उन्होंने गरज कर ' बोले सो निहाल ' का जैकारा लगाया और निहंगों ने ' सतिश्री अका ल. .. ' की गूंज से स्टेशन मास्टर का कमरा गुंजायमान कर दिया।
- वो ? हम २ महीने बाद पकिस्तान को किसी शाह कप कि पेनाल्टी शूटआउट में हरा कर आसमान से ऊँचे हो जायेंगे - अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव सारे अवार्ड हमारे!और फिर शुरू होगी मीडिया का जैकारा, मुख्यमंत्री कोष से ५ करोड़ का फ्लैट!
- यह पुस्तक भक्तों के जैकारा ( जयकारा) साहित्य से बिल्कुल अलग सामंती ढांचे की निरंकुशता, सामाजिक जकड़बन्दियों पितृसत्तात्मक समाज की कैद में छुटकारा पाने और अपना मुकाम हासिल करने की मीरा की संघर्ष गाथा को समझने और परखने का उपक्रम करती है।
- ऊ दिन दूर नाही जब कवनों राम रहीम और रामदेव जईसन दुनिया के अपने पीछे लगावे वाला निर्मल बाबा भी अपने पाँव के पास एक से एक दरिद्र नेता के बैठइहें , उनका के अपना सपना मनी-मनी फिलिम देखइहे और साथ मे जैकारा लगईहें ।
- आखिर सत्ता है हाथ में ! एक ईमानदार प्रधानमंत्री यदि ऐसे हालात में अपना चोला बदलकर तानाशाही रवैया भी अख्तियार कर ले, चोरों को पकड़-पकड़ कर सीखचों में धकेलना शुरू कर दे, तो आम जनता बजाय बग़ावत के उसे कंधों पर बिठाकर जैकारा लगाने लगेगी और लुटेरे बदले मनमोहन का कठोर रुख देख कर खुद घिघियाना आरम्भ कर देंगे ।
- मुनीम की सीख से ही सेठ दीन-दुःखी को दान , पखेरुओं को चुगा, चौपायों को घास, गुड व चाटा, नशेबाजों को माल-मलिंदा घुटवाना, उनका जैकारा सुन-सुन कर प्रफुल्लित होना, किसी न किसी बहाने ब्राह्मणों को पोखना, स्वस्तिवाचन से अभिषिक्त व अभिमंत्रित होते रहना, गौशाला, पोसवाल, प्याऊ, धर्मशाला, दातव्य औषधालय, मंदिर बनवाना और मेले -मगरियों में अन्नक्षेत्र, जरूरतमंदों व परित्यक्तजनों में पेटिये फेरना, काल में भूखे डांगरों के लिये राहत सेवा शिवि खोलना, यानी कुछ न कुछ करते रहना, नाम का नाम, साख की साख, पुण्य का पुण्य मिलता रहे, क्यों न करें।
- राजकमल भाई नमस्कार ! आपकी बात से बिलकुल सहमत हूँ और शायद वही बात मैंने इस शेर में कहने की कोशिश की है....इस सियासत ने ऐसे हिंदुओं को जो कभी देवी देवताओं को नहीं पूजते हैं वो भी इफ्तार पार्टी मे जाके नमाज़ पढ़ने की कवायद करते है और और बहुत से मुस्लिम भी राजनीतिक कारणों से जागरण मे जैकारा लगते हैं.....मैं इसलिए नहीं विरोध करता की हिन्दू मूलिम केवल अपना आपा ही रीति रिवाज त्योहार माने बल्कि इसलिए की ऐसा हर वक़्त होना चाहिए न की केवल चुनाव के माहौल में....आपका बहुत बहुत धन्यवाद !