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टिप-टाप का अर्थ

टिप-टाप अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. विकास के पूंजीवादी माडल से उपजी संवेदनहीनता का एक और प्रमाण देहरादून की चलरौता रोड के विध्वंस के साथ धराशायी हुई बहुत सी जगहों के बीच में हाल ही में वहां गया तो अपना टिप-टाप ढूंढा किया . इस दश्त में एक शहर था ...
  2. रोजमर्रा के जीवन में गृहणियां पड़ोसी के बच्चे से ज्यादा अंक लाने में अपने बच्चे के साथ दौड़ लगाती हैं , बेस्ट एम्प्लॉयर के अवार्ड के लिए पति के टिप-टाप होने में या ऐसी ही तमाम चीजों में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि याद ही नहीं रहता कि अपनी भी कोई जिन्दगी है।
  3. जब कथाकार योगेंद्र आहुजा नौकरी के सिलसिले में स्थानान्तरित होकर देहरादून आये तो उन्हें दिल्ली में बताया गया कि देहरादून में किसी साहित्यकार का पता पूछने की जरूरत नहीं -सीधे टिप-टाप चले जाइये ! तो टिप-टाप में ही मेरी योगेन्द्र आहूजा से पहली मुलाकात हुई-वह शायद शाम का वक्त था-लगभग साढे सात बज चुके थे .
  4. जब कथाकार योगेंद्र आहुजा नौकरी के सिलसिले में स्थानान्तरित होकर देहरादून आये तो उन्हें दिल्ली में बताया गया कि देहरादून में किसी साहित्यकार का पता पूछने की जरूरत नहीं -सीधे टिप-टाप चले जाइये ! तो टिप-टाप में ही मेरी योगेन्द्र आहूजा से पहली मुलाकात हुई-वह शायद शाम का वक्त था-लगभग साढे सात बज चुके थे .
  5. टिप-टाप का इतिहास कुछ यूं रहा कि डिलाइट के किंचित अगंभीर से दिखलायी पडते माहौल से हटने के लिये एक वैकल्पिक स्थल के रूप में पहले यहां पत्रकारों ने अड्डा जमाया -फिर रंगकर्मी काबिज हुए और अन्ततः साहित्यिकों की विशिष्ट मुफलिसी को टिप-टाप मालिक प्रदीप गुप्ता के दिल की रईसी और काव्य-प्रेम इस कदर रास आये कि टिप-टाप , २ ० चकराता रोड शहर के साहित्यिकों का पता ही बन गया .
  6. टिप-टाप का इतिहास कुछ यूं रहा कि डिलाइट के किंचित अगंभीर से दिखलायी पडते माहौल से हटने के लिये एक वैकल्पिक स्थल के रूप में पहले यहां पत्रकारों ने अड्डा जमाया -फिर रंगकर्मी काबिज हुए और अन्ततः साहित्यिकों की विशिष्ट मुफलिसी को टिप-टाप मालिक प्रदीप गुप्ता के दिल की रईसी और काव्य-प्रेम इस कदर रास आये कि टिप-टाप , २ ० चकराता रोड शहर के साहित्यिकों का पता ही बन गया .
  7. टिप-टाप का इतिहास कुछ यूं रहा कि डिलाइट के किंचित अगंभीर से दिखलायी पडते माहौल से हटने के लिये एक वैकल्पिक स्थल के रूप में पहले यहां पत्रकारों ने अड्डा जमाया -फिर रंगकर्मी काबिज हुए और अन्ततः साहित्यिकों की विशिष्ट मुफलिसी को टिप-टाप मालिक प्रदीप गुप्ता के दिल की रईसी और काव्य-प्रेम इस कदर रास आये कि टिप-टाप , २ ० चकराता रोड शहर के साहित्यिकों का पता ही बन गया .
  8. शायद राजेश सकलानी के सा थ . च ूंकि अवधेश और हरजीत के लिये शाम होने के बाद सूरज ढलने का इन्तजार वक्त-बर्बादी के सिवा और कुछ नहीं था , सो वे चाहते थे कि वीरेनजी जरा जल्द ही टिप-टाप से निकल कर कहीं और चलें जहां हरजीत अपना ताजा शे ' र पढ़ सके ये शामे-मैकशी भी शामों में शाम है इक नासेह , शेख , वाहिद , जाहिद हैं हमप्याला लेकिन वीरेनजी को शायद ६ .
  9. वे टिप-टाप मे बैठे थे कि दो महिलायें एक सूर्ख गुलाब लिये दर्द साहब को पूछती चली आयीं . थोडा सकुचाते ,कुछ हिचकिचाते हुए उन्होंने वह गुलाब कुबूल किया - मेज के किनारे रखा और प्रदीप गुप्ता को उधार की चाय का आर्डर दिया.दर्द साहब सूर्ख गुलाब का सबब समझ नहीं पा रहे थे .तभी वहां हरजीत का आगमन हुआ.उसने मंजर देखा , प्रदीप गुप्ता से कुछ बात की और फिर उस सार्वजनिक पोस्टर -स्थल से अवधेश की पैरोडी हटाकर एक नया शे'र चस्पां कर दिया
  10. डिलाइट के इतिहास और प्रतिष्ठा पर इस ब्लाग में पहले भी लिखा जा चुका है-खास तौर पर सुरेश उनियाल और विजय गौड़ द्वारा . यहां मैं टिप-टाप का जिक्र कर रहा हूं जो अस्सी के उत्तरार्ध और नब्बे के पूरे दशक भर अपने उफान पर रहा और अब बस नाम भर बचा हुआ है-चकराता रोड की भीड़ भरी भागम - भाग के बीचो-बीच एक साइन बोर्ड ! इस शहर में भीड़ का ये आलम है घर से गेंद भी निकले तो गली के पार न हो हरजीत ने शायद कुछ ऐसा टिप-टाप मे बैठकर ही कहा था .
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