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डफाली का अर्थ

डफाली अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. डोरहारे होते , डफाली होते, बहरुपिए होते, नट होते, मदारी होते, चाकू पर सान देने वाले होते, सिल पर छेनी से रेखाएँ खींचने वाले होते, कलई करने वाले होते....मध्य वर्ग भी निम्न वर्ग में शामिल होता...और नौस्टालजिया नहीं होता...वर्तमान का कैसा नौस्टालजिया!!
  2. डोरहारे नहीं हैं , डफाली नहीं हैं , बहरुपिए नहीं हैं , नट नहीं , मदारी नहीं हैं , चाकू पर सान देने वाले नहीं हैं , सिल पर छेनी से रेखाएँ खींचने वाले नहीं हैं , कलई करने वाले नहीं हैं ...
  3. डोरहारे नहीं हैं , डफाली नहीं हैं , बहरुपिए नहीं हैं , नट नहीं , मदारी नहीं हैं , चाकू पर सान देने वाले नहीं हैं , सिल पर छेनी से रेखाएँ खींचने वाले नहीं हैं , कलई करने वाले नहीं हैं ...
  4. अंत में साम्प्रदायिकता और जातिवाद की ऐसी विजय हुई कि मुसलमानों में भी शेख , सैयद , मुगल , पठान नामक चार वर्ण एवं धुना , जुलाहे , हज्जाम , कुंजड़े कस्साब , कसगर , मोमिन , मीरासी , मनिहार , रंगरेज , दर्जी , गद्दी , डफाली , नक्काल इत्यादि नाना जातियां बन गयीं।
  5. अंत में साम्प्रदायिकता और जातिवाद की ऐसी विजय हुई कि मुसलमानों में भी शेख , सैयद , मुगल , पठान नामक चार वर्ण एवं धुना , जुलाहे , हज्जाम , कुंजड़े कस्साब , कसगर , मोमिन , मीरासी , मनिहार , रंगरेज , दर्जी , गद्दी , डफाली , नक्काल इत्यादि नाना जातियां बन गयीं।
  6. मुसलमानों के अति पिछड़ा ( दलित वर्ग ) जैसे-मेहतर , धोबी , मोची , बक्खो , नट , लालबेगी , नालबन्द , साई , नाई , डफाली , भांट , पवड़ियां , भटियारा , मीरासन , चूड़ीहारा , जुलाहा , धूनिया , कुन्जड़ा , कसाई , कलन्दर , मदारी , भिश्ती इत्यादि की स्थिति हिन्दू दलितों से भी बदतर है।
  7. मुसलमानों के अति पिछड़ा ( दलित वर्ग ) जैसे-मेहतर , धोबी , मोची , बक्खो , नट , लालबेगी , नालबन्द , साई , नाई , डफाली , भांट , पवड़ियां , भटियारा , मीरासन , चूड़ीहारा , जुलाहा , धूनिया , कुन्जड़ा , कसाई , कलन्दर , मदारी , भिश्ती इत्यादि की स्थिति हिन्दू दलितों से भी बदतर है।
  8. डोरहारे होते , डफाली होते, बहरुपिए होते, नट होते, मदारी होते, चाकू पर सान देने वाले होते, सिल पर छेनी से रेखाएँ खींचने वाले होते, कलई करने वाले होते....मध्य वर्ग भी निम्न वर्ग में शामिल होता...और नौस्टालजिया नहीं होता...वर्तमान का कैसा नौस्टालजिया!!भारत के आम मध्य वर्ग के लोग जिनके पास पूंजी के नाम पर सिर्फ शिक्षा और हुनर है उसे देश में तो नहीं....बाहर भी मौका नहीं मिलता।
  9. डोरहारे होते , डफाली होते, बहरुपिए होते, नट होते, मदारी होते, चाकू पर सान देने वाले होते, सिल पर छेनी से रेखाएँ खींचने वाले होते, कलई करने वाले होते....मध्य वर्ग भी निम्न वर्ग में शामिल होता...और नौस्टालजिया नहीं होता...वर्तमान का कैसा नौस्टालजिया!!भारत के आम मध्य वर्ग के लोग जिनके पास पूंजी के नाम पर सिर्फ शिक्षा और हुनर है उसे देश में तो नहीं....बाहर भी मौका नहीं मिलता।
  10. मैं पूरी निर्ममता के साथ विकासवादियों की बात मान सकता हूँ कि भारत में तेज़ी से विकास हुआ और वह इंडिया बन गया है , मॉल-मल्टीप्लेक्स हैं, फ्लाइओवर हैं, होम डिलिवरी सर्विस है, पित्ज़ा हट है, क्या नहीं है?डोरहारे नहीं हैं, डफाली नहीं हैं, बहरुपिए नहीं हैं, नट नहीं, मदारी नहीं हैं, चाकू पर सान देने वाले नहीं हैं, सिल पर छेनी से रेखाएँ खींचने वाले नहीं हैं, कलई करने वाले नहीं हैं...
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