तनक़ीद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्रो 0 करामत अली ने अपनी आलोचना पुस्तक “ इज़ाफ़ी तनक़ीद ” में ज़ैदी साहब की शायरी को समकालीन उर्दू शायरी की पहचान के रूप में देखा।
- शायरों की टीम को नाटक मंडली और नकीबे मुशायरा को चोबदार कहते थे , ये कहते हुए इतना बुरा मंुह बनाते थे कि तनक़ीद गाली जैसे मालूम होती थी .
- कहने लगे उर्दू अदम में तनक़ीद उस नील गाय की तरह है जिसे भोले भाले शायर व अदीब उस पर उम्मीद पाल लेते हैं कि आगे चल कर ये दूध देगी .
- है सिकंदर या सुलेमाँ , ईसा या मंसूर है हर कोई अपनी जगह हालात से मजबूर है मुन्तज़िर अशआर हैं बस तेरे तब्सिरा के, तारीफ़ न कर पाए तो तनक़ीद भी मंज़ूर है.
- सांस लेने को रूके और फिर गोया हुए कि तनक़ीद की बेलगाम घोड़ी सिर्फ़ दौलत , अदबी इक़तिदार और गै़र मुल्की करंसी के कोड़ो से ही काबू में आ सकती है .
- जिस शाइर में आईना देखने का हौसला है , अपने क़लाम पे हुई सच्ची तनक़ीद ( समीक्षा ) को सुनने का मादा है तो उस शाइर का मुस्तक़बिल यक़ीनन सुनहरा है !
- जबकि हकीम साहब तो यहां तक कहते थे कि मुझ पर नज़र पड़ते ही तनक़ीद निगार अपनी चश्मे बसीरत से यूं महरूम हो जाते है , जैसे हामला औरत को देख कर सां प.
- शेर में अव्वलन हसरत मोहानी और उनके बाद ' जोश', हफ़ीज़ जालंधरी और अख़्तर शीरानी की रियासत क़ायम थी, अफ़सानें में यलदरम और तनक़ीद में हुस्न बराए हुस्न और अदब बराए अदब का चर्चा था।
- वह इस लग्वियात को मुहम्मद का जेहनी खलल मानते थे , ये बातें खुद कुरआन में मौजूद है , इस लिए कि मुहम्मद लोगों की तनक़ीद को भी क़ुरआनी फरमान का हिस्सा बनाए हुए हैं .
- सीधा-सीधा सच पर आ जाना , ,, बिना कोई हेर-फेर किये अदीबों / साहित्यकारों का यही तो फ़र्ज़ / कर्तव्य है और उसे आप बखूबी निभा रही हैं .... और.... आलोचना / तनक़ीद को आप सहज स्वीकारती हैं..