तपश्चरण का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- चित्रलेखा यही गर्व मुझको भी हो आता है अनायास उन तेजवंत पुरुषॉ पर , बाधक नहीं तपोव्रत जिनके व्यग्र-उदग्र प्रणय का , न तो प्रेम ही विघ्न डालता जिनके तपश्चरण में ;
- भागवत पुराण के पांचवें स्कंध के प्रथम छह अध्यायों में ऋषभदेव के वंश , जीवन व तपश्चरण का वृतान्त वर्णित है , जो सभी मुख्य मुख्य बातों में जैन पुराणों से मिलता है।
- जो चतुर्थी तिथि को उपवास करके जपता है वह विद्यावान हो जाता है , यह अथर्व वाक्य है जो इस मंत्र के द्वारा तपश्चरण करना जानता है वह कदापि भय को प्राप्त नहीं होता।
- इन सीमाओं के भीतर अनेक मुनियों व आचार्यों आदि महापुरुषों के जन्म , तपश्चरण , निर्वाण आदि के निमित्त से उन्होंने देश की पद पद भूमि को अपनी श्रद्धा व भक्ति का विषय बना डाला है।
- इन सीमाओं के भीतर अनेक मुनियों व आचार्यों आदि महापुरुषों के जन्म , तपश्चरण , निर्वाण आदि के निमित्त से उन्होंने देश की पद पद भूमि को अपनी श्रद्धा व भक्ति का विषय बना डाला है।
- १२ वर्ष तक कठोर एवं मौन तपश्चरण के बाद ४२ वर्ष की आयु में उन्हें केवलज्ञान ( सर्वज्ञता) की प्राप्ति हुई और इस प्रकार वे अपने सम्पूर्ण ही राग-द्वेषादि विकारों का अभाव कर अर्हन्त परमात्मा बन गये।
- १ २ वर्ष तक कठोर एवं मौन तपश्चरण के बाद ४ २ वर्ष की आयु में उन्हें केवलज्ञान ( सर्वज्ञता ) की प्राप्ति हुई और इस प्रकार वे अपने सम्पूर्ण ही राग-द्वेषादि विकारों का अभाव कर अर्हन्त परमात्मा बन गये।
- अर्थात नहीं आ सकती ! बीज तभी उत्पन्न हो सकता है जब तक कि वह भुना नहीं है , निर्जीव नहीं हुआ है , जब बीज एक बार भून गया तब उसमे अंकुर उत्पन्न नहीं हो सकता ! जन्म मरण के अंकुर का बीज कर्म है , जब उसे तपश्चरण आदि धर्म - क्रियाओं से जला दिया तब उसमे जन्म मरण का अंकुर कैसे फूटेगा ? अर्थात नहीं फुट सकता !
- कितनी सह यातना पालती त्रिया भविष्य जगत का ? कह सकता है कौन पूर्ण महिमा इस तपश्चरण की ? ” और प्रसूता के समीप से जब महर्षि आए थे , बोले थे , “ उर्वशी अभी , देखा कैसी लगती थी , पड़ी हुई निस्तब्ध शमित पीड़ा की शांत कुहू में ? तट पर लगी अचल नौका-सी जो अदृश्य में जाकर दृश्य जगत के लिए सार्थ जीवन का ले आई हो , और रिक्त होकर प्रभार से अब अशेष तन्द्रा में याद कर रही हो धुन्धली बातें अदृश्य के तट की .