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तुंद का अर्थ

तुंद अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. 122 122 122 122 ये दौरे मसर्रत ये तेवर तुम्हारे उभरने से पहले न डूबें सितारे सफ़ीने वहां डूबकर ही रहे हैं जहां हैसले नाखुदाओं ने हारे भंवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो कहां तक चलोगे किनारे-किनारे अजब चीज है ये मुहब्बत की बाजी जो हारे वो जीते जो जीते वो हारे
  2. तेरी आँखों का यह दर्पन अच्छा लगता है इसमें चेहरे का अपनापन अच्छा लगता है तुंद हवाओं तूफ़ानों से जी घबराता है हल्की बारिश का भीगापन अच्छा लगता है वैसे तो हर सूरत की ही अपनी सीरत है हमको तो बस तेरा भोलापन अच्छा लगता है पहले तो तन्हाई से हमको डर लगता था अब …
  3. ( मीर ) | पूछकर अपनी निगाहों से बता दे मुझको , मेरी रातों के मुक़द्दर में सहर है कि नहीं ? ( साहिर ) | परीशां हो गए शीराज़ा -ए-औराक-ए-इस्लामी , चलेंगी तुंद बादे कुफ्र की यह आंधियां कब तक ? ( कैफी ) | सौ में सत्तर आदमी फिलहाल जब नाशाद है , दिल पे रखके हाथ कहिये देश क्या आज़ाद है ? ( अदम गोंडवी ) |
  4. बोल के लब आजाद हैं तेरे बोल जबां अब एक तेरी है तेरा सुतवा जिस्म है तेरा बोल के जां अब तक तेरी है देख के : आहंगर की दुकां में तुंद हैं शोले , सुर्ख हैं आहन खुलने लगे हैं कुफलों के दहाने फैला हर जंजीर का दामन बोल , ये : थोड़ा बहुत वक्त बहुत है जिस्म- ओ-जबां की मौत से पहले बोल , के सच जिंदा है अबतक
  5. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़बाँ अब तक तेरी है तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा बोल कि जाँ अब तक तेरी है देख के आहंगर की दुकां में तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन खुलने लगे क़ुफ़्फ़लों के दहाने फैला हर एक ज़ंजीर का दामन बोल ये थोड़ा वक़्त बहुत है जिस्म-ओ-ज़बां की मौत से पहले बोल कि सच ज़िंदा है अब तक बोल जो कुछ कहने है कह ले
  6. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़बाँ अब तक तेरी है तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा बोल कि जाँ अब तक् तेरी है देख के आहंगर की दुकाँ में तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन खुलने लगे क़ुफ़्फ़लों के दहाने फैला हर एक ज़न्जीर का दामन बोल ये थोड़ा वक़्त बहोत है जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले बोल कि सच ज़िंदा है अब तक बोल जो कुछ कहने है कह ले
  7. कारवाँ . ....लोग साथ आते गए, और कारवाँ बनता गया ! बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़बाँ अब तक तेरी है तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा बोल कि जाँ अब तक् तेरी है देख के आहंगर की दुकाँ में तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन खुलने लगे क़ुफ़्फ़लों के दहाने फैला हर एक ज़न्जीर का दामन बोल ये थोड़ा वक़्त बहोत है जिस्म-ओ-ज़बाँ की …
  8. बोल कि अब आजाद हैं तेरे बोल , जबां अब तक तेरी है तेरा सुतवां (तना हुआ) जिस्म है तेरा बोल कि जां अब तक तेरी है देख कि आहनगर (लोहार) की दुकां में तुंद (तेज) हैं शोले, सुर्ख है आहन खुलने लगे कुफलों के दहाने (तालों के मुंह) बस ये थोड़ा वक्त बहुत है जिस्मो जबां की मौत से पहले बोल कि सच जिंदा है अब तक बोल कि जो कहना है कह के 'फैज अहमद फैज' ख्वाबे सहर
  9. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़बाँ अब तक तेरी है तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा बोल कि जां अब तक तेरी है देख के आहंगर की दुकां में तुंद हैं शोले , सुर्ख़ है आहन खुलने लगे क़ुफ्फ़लों के दहाने फैला हर एक ज़न्जीर का दामन बोल ये थोड़ा वक़्त बहोत है जिस्म-ओ-ज़बां की मौत से पहले बोल कि सच जिंदा है अब तक बोल जो कुछ कहना है कह ले फैज ने बहुत ही निजी कविताएं भी लिखी हैं।
  10. विरोध तो हमको करना ही होगा , क् योंकि बकौल फैज़ अहमद फैज़ , बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़बां अब तक तेरी है तेरा सुतवां जिस् म है तेरा बोल कि जां अब तक तेरी है देख कि आहंगर की दुकां में तुंद हैं शोले सुर्ख हैं आहन खुलने लगे क़ुफलों के दहाने फैला हर इक ज़ंज़ीर का दामन बोल ये थोड़ा वक् त बहुत है जिस् म-ओ-ज़ुबां की मौत से पहले बोल कि सच जि़ंदा है अब तक बोल जो कुछ कहना है कह ले
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