तैत्तिरीय उपनिषद् का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- तैत्तिरीय उपनिषद् में ब्रह्मनिरूपण के क्रम में ऋषि कहता है : - जिस मूल स्रोत से सारे प्राणियों का जन्म होता है ;
- तैत्तिरीय उपनिषद् तीन अध्यायों में बंटा है जिनको ‘ वल्ली ' नाम दिया गया है ; ये हैं शिक्षावल्ली , ब्रह्मानन्दवल्ली , एवं भृगुवल्ली ।
- शिक्षक तैत्तिरीय उपनिषद् 1 , 4 ,1 में दिये गये शिक्षा के उद्द्ेश्यों को सदैव ध्यान में रखें- आचार्य पूर्वरूपं अन्तेवासी उत्तररूपं विद्या सन्धि , प्रवचनम् संधानम् इत्यधि विद्यम्।
- इन वचनों के स्रोत के बारे में जिज्ञासा होने पर मैंने उननिषदों के पन्ने पलटना आरंभ किए तो पाया कि ये तैत्तिरीय उपनिषद् में समाहित हैं ।
- तैत्तिरीय उपनिषद् 11 प्रमुख उपनिषदों ( ईश , ऐतरेय , कठ , केन , छान्दोग्य , तैत्तिरीय , बृहदारण्यक , माण्डूक्य , मुण्डक , प्रश्न , श्वेताश्वर ) में से एक है ।
- तैत्तिरीय उपनिषद् कहती है कि ‘‘ जिससे ये सत्ताएँ जन्मी हैं , जिसमें जन्म लेने के बाद रहती हैं और जिसमें अपनी मृत्यु के बाद चली जाती हैं , वह ब्रह्म है .