दारुहल्दी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- बवासीर या bleeding हो , या फिर आँतों में सूजन हो तो , दारुहल्दी की 5 - 10 ग्राम जड़ों को 400 ग्राम पानी में धीमे धीमे पकाएं .
- बवासीर या bleeding हो , या फिर आँतों में सूजन हो तो , दारुहल्दी की 5 - 10 ग्राम जड़ों को 400 ग्राम पानी में धीमे धीमे पकाएं .
- पुनर्नवादि मण्डूर ( भैर) पुनर्नवा, सोंठ, पीपल, कालीमिर्च, विडंग, देवदारु, चित्रकमूलत्व, पुष्करमूल, त्रिफला, हल्दी, दारुहल्दी, दन्तीमूल, चाव, इन्द्रजौ, कुटकी, पीपरामूल, नागरमोथा प्रत्येक १० ग्राम मण्डूर भस्म, ४०० ग्राम, गोमूत्र४ लिटर लें.
- घटक द्रव्य : चमेली के पत्ते, नीम के पत्ते, पटोल पत्र, करंज के पत्ते, मोम, मुलहठी, कूठ, हल्दी, दारुहल्दी, कुटकी, मजीठ, पद्माख, लोध, हर्रे, नीलकमल, नीला थोथा, सारिवा, करंज के बीज।
- 1 . आक का 10 मिली दूध और दारुहल्दी का 2 ग्राम महीन चूर्ण , दोनों को एक साथ खरल कर बती बना व्रणों में रखने से शीघ्र लाभ होता है।
- पुनर्नवा के आयुर्वेदिक यो ग पुनर्नवाष्टक क्वाथ : पनुर्नवा की जड़, नीम की अंतरछाल, पटोलपत्र, सोंठ, कुटकी, गिलोय, दारुहल्दी और हरड़ ये आठों द्रव्य समान मात्रा में लेकर मोटा-मोटा कूट लें।
- अनार की छाल , देवदारु, हल्दी, दारुहल्दी, हरड़, बहेड़ा, आंवला, लाल चंदन, खस, सुगंधबाला, सफेद चंदन, मुलहठी, नागरमोथा, श्यामलता (अनन्तमूल), शैवाल, हरसिंगार, लाल कमल और रसौत सब 25-25 ग्राम लेकर कल्क बना लें।
- अगर आँखें लाल हो रही हैं या किसी भी प्रकार का संक्रमण हो गया है तो , रसौंत को या दारुहल्दी की जड़ की लकड़ी को घिसकर आँख में अंजन करें .
- हिमालय क्षेत्र में छ : से दस हजार फीट की उंचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति , जिसे लोग किल्मोड़ा के नाम से जानते हैं , इसे दारुहरिद्रा या दारुहल्दी भी कहा जाता है।
- एक अन्य प्रयोग- दारुहल्दी , शंख की नाभि, रसोत, लाख, गोबर, गोंद, खाने का तेल, शहद, घी तथा दूध, सबको सम भाग लेकर मिला लें और लुगदी बनाकर उपदंश के घाव पर लगाएं, इससे सूजन और जलन ठीक हो जाती है।