दृष्टि-दोष का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ऐसे अवसर पर डरावने , भूत , प्रेत , पिशाच , देव , दानव जैसी आकृतियाँ दिख सकती हैं , दृष्टि-दोष उत्पन्न होने के कारण कुछ का कुछ दिखाई दे सकता है ।
- ऐसे अवसर पर डरावने , भूत , प्रेत , पिशाच , देव , दानव जैसी आकृतियाँ दिख सकती हैं , दृष्टि-दोष उत्पन्न होने के कारण कुछ का कुछ दिखाई दे सकता है ।
- यह शायद काल की ही मजबूरी है कि आज भी , शायद जींस के कारण, कुछ 'क्षत्रियों' में दृष्टि-दोष अभी भी चल रहा है...कौरव-पांडव के समय से भी जब द्रौपदी चीर हरण का प्रयास कौरवों ने किया...
- ईमानदारी इनकी चारित्रिक विशेषता में चार चाँद लगा देती है ! बीमारियाँ : - दिल से सम्बंधित बीमारियाँ , गर्मी के कारण होने वाले रोग , ज्वर , दृष्टि-दोष , रीढ़ सम्बन्धित रोग , पाचन से सम्बंधित समस्याएं , आत्म शक्ति की कमी !
- ईमानदारी इनकी चारित्रिक विशेषता में चार चाँद लगा देती है ! बीमारियाँ : - दिल से सम्बंधित बीमारियाँ , गर्मी के कारण होने वाले रोग , ज्वर , दृष्टि-दोष , रीढ़ सम्बन्धित रोग , पाचन से सम्बंधित समस्याएं , आत्म शक्ति की कमी !
- शिविर में जांच के क्रम में 10 छात्राओं में जन्मजात काॅर्निया अपार-दर्शिता की , 100 में दृष्टि-दोष , 80 में रतौंधी , तीन में शारीरिक विकलांगता , 56 में श्रवण-दोष तथा 5 में स्पीच की समस्याएं पायी गई , जिसके संदर्भ में उचित परामर्श दिये गये।
- अपने लोगों के स्वास्थ्य के प्रति यदि हमारी सरकारें अपना यह दृष्टि-दोष दूर कर लें तो लोगों को बीमारी के चलते बदहाल होने से और असमय मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता है ( संपादकीय , नई दुनिया , दिल्ली ,26 .11 .2010 ) ।
- दोराहे पर खड़ी लड़कियाँ गिन -गिन कर कदम रखती हैं कभी आगे-पीछे कभी पीछे-आगे कभी ये पुल से गुजरती हैं कभी नदी में उतरने की हिमाकत करती हैं ये अत्यन्त फुर्तीली और चौकन्नी होती हैं किन्तु इन्हें दृष्टि-दोष रहता है इन्हें अक्सर दूर और पास की चीजें नहीं दिखा . ..
- दोराहे पर खड़ी लड़कियाँ गिन -गिन कर कदम रखती हैं कभी आगे-पीछे कभी पीछे-आगे कभी ये पुल से गुजरती हैं कभी नदी में उतरने की हिमाकत करती हैं ये अत्यन्त फुर्तीली और चौकन्नी होती हैं किन्तु इन्हें दृष्टि-दोष रहता है इन्हें अक्सर दूर और पास की चीजें नहीं दिखा
- गीता में तो शरीर को तो ( अजन्मे और अनंत ) आत्मा के वस्त्र समान माना गया है : ) और हिन्दुओं के अनुसार सभी आत्माएं अमृत शिव , परमेश्वर , के ही प्रतिरूप हैं जो माया के कारण विभिन्न वस्त्र-रुपी शरीर के दृष्टि-दोष के कारण भिन्न-भिन्न प्रतीत होते हैं ...