द्विविद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- हनुमान , अंगद, नील, नल, केसरी कुमुद, गन्धमादन, सुषेण, पनस, वीरमैन्द, द्विविद, जाम्बवन्त, गवाक्ष, विनत, धूम्र, बलीमुख, प्रजंघ, सन्नाद, दरीमुख, दधिमुख, इन्द्रजानु तथा अन्य वानर यूथपतियों को नाना प्रकार के वस्त्राभूषण-रत्नादि देकर सम्मानित किया और उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करके उन्हें विदा किया।
- हनुमान , मैन्द, द्विविद, जाम्बवान , नल , नील , तार, अंगद , धूम्र, सुषेण , केसरी , गज, पनस, विनत, रम्भ, शरभ , महाबली कम्पन, गवाक्ष, दधिमुख, गवय और गन्धमादन- ये सब तो वहाँ आये ही, अन्य भी बहुत-से वानर आ पहुँचे।
- फिर उन्होंने सुग्रीव , हनुमान, अंगद, नील, नल, केसरी कुमुद, गन्धमादन, सुषेण, पनस, वीरमैन्द, द्विविद, जाम्बवन्त, गवाक्ष, विनत, धूम्र, बलीमुख, प्रजंघ, सन्नाद, दरीमुख, दधिमुख, इन्द्रजानु तथा अन्य वानर यूथपतियों को नाना प्रकार के वस्त्राभूषण-रत्नादि देकर सम्मानित किया और उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करके उन्हें विदा किया।
- ४ ६ . १ ८ ( इन्द्रजित् द्वारा नील पर ९ , मैन्द व द्विविद पर ३ - ३ , जाम्बवान् पर १ , हनुमान पर १ ० तथा गवाक्ष व शरभ पर २ - २ बाणों द्वारा प्रहार का उल्लेख ) , ६ .
- इस युद्ध में वीर वानर कुमुद , नल, मैन्द और द्विविद ने कुपित हो अपना उत्तम वेग प्रकट किया तथा उनके इस वेग से उत्साहित वानरों ने क्रुद्ध होकर वृक्षों, शिलाओं, दाँतों तथा नाखूनों से रिपुदल में भयंकर मारकाट मचा दी जिससे उसके पाँव उखड़ने लगे।
- द्वापर का अंतिक सीवान कंस के अत्याचार जरासंघ की दुरभि संधि , तृणावर्त , प्रलम्बासुर द्विविद जैसे आततायियों के द्वारा जनसामन्य को त्रसित कर अपना प्रभुत्व थोपने के कारण प्रजा में हुई विकलता के समनार्थ श्री बलराम एवं श्रीकृष्ण ने अवतार लेकर भू- भार का शमन किया।
- हनुमान , मैन्द , द्विविद , जाम्बवान , नल , नील , तार , अंगद , धूम्र , सुषेण , केसरी , गज , पनस , विनत , रम्भ , शरभ , महाबली कम्पन , गवाक्ष , दधिमुख , गवय और गन्धमादन- ये सब तो वहाँ आये ही , अन्य भी बहुत-से वानर आ पहुँचे।
- हनुमान , मैन्द , द्विविद , जाम्बवान , नल , नील , तार , अंगद , धूम्र , सुषेण , केसरी , गज , पनस , विनत , रम्भ , शरभ , महाबली कम्पन , गवाक्ष , दधिमुख , गवय और गन्धमादन- ये सब तो वहाँ आये ही , अन्य भी बहुत-से वानर आ पहुँचे।
- फिर उन्होंने सुग्रीव , हनुमान , अंगद , नील , नल , केसरी कुमुद , गन्धमादन , सुषेण , पनस , वीरमैन्द , द्विविद , जाम्बवन्त , गवाक्ष , विनत , धूम्र , बलीमुख , प्रजंघ , सन्नाद , दरीमुख , दधिमुख , इन्द्रजानु तथा अन्य वानर यूथपतियों को नाना प्रकार के वस्त्राभूषण-रत् नादि देकर सम्मानित किया।
- फिर उन्होंने सुग्रीव , हनुमान , अंगद , नील , नल , केसरी कुमुद , गन्धमादन , सुषेण , पनस , वीरमैन्द , द्विविद , जाम्बवन्त , गवाक्ष , विनत , धूम्र , बलीमुख , प्रजंघ , सन्नाद , दरीमुख , दधिमुख , इन्द्रजानु तथा अन्य वानर यूथपतियों को नाना प्रकार के वस्त्राभूषण-रत् नादि देकर सम्मानित किया।