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धँसना का अर्थ

धँसना अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. जे . बी.सी. मशीनों से मलबा हटाने के बावजूद थोड़ी बरसात या भारी वाहनों की आवाजाही से हो रहे कम्पन से पहाड़ों का धँसना नहीं रुक रहा है और बार-बार सड़क अवरुद्ध हो जा रही है और यह समस्या भविष्य में भी रहेगी।
  2. जे . बी . सी . मशीनों से मलबा हटाने के बावजूद थोड़ी बरसात या भारी वाहनों की आवाजाही से हो रहे कम्पन से पहाड़ों का धँसना नहीं रुक रहा है और बार-बार सड़क अवरुद्ध हो जा रही है और यह समस्या भविष्य में भी रहेगी।
  3. आप शायद हैरान होंगे कि मैं दूसरी बेंच पर क्यों नहीं जाती ? इतना बड़ा पार्क - चारों तरफ खाली बेंचें - मैं आपके पास ही क्यों धँसना चाहती हूँ ? आप बुरा न मानें , तो एक बात कहूँ - जिस बेंच पर आप बैठे हैं , वह मेरी है।
  4. ' कवि को सभी समस्याओं का समाधान जन सामान्य की जीजिविषा में ही नज़र आता है , वह संवेदना के धागे को इतना महिन कातता है कि उसमे से चमकने लगता है समय वकर वरक , ‘ धँसना तो होगा ही जन अरण्य में , समा जाना होगा उसमें , क्योंकि वहीं से मिलेगा अभेद्य कवच , और वहीं से जगेगी जीने की ललक ।
  5. इस पर्व में द्रोणाचार्य की मृत्यु के पश्चात कौरव सेनापति के पद पर कर्ण का अभिषेक , कर्ण के सेनापतित्व में कौरव सेना द्वारा भीषण युद्ध, पाण्डवों के पराक्रम, शल्य द्वारा कर्ण का सारथि बनना, अर्जुन द्वारा कौरव सेना का भीषण संहार, कर्ण और अर्जुन का युद्ध, कर्ण के रथ के पहिये का पृथ्वी में धँसना, अर्जुन द्वारा कर्णवध, कौरवों का शोक, शल्य द्वारा दुर्योधन को सान्त्वना देना आदि वर्णित है।
  6. इस पर्व में द्रोणाचार्य की मृत्यु के पश्चात कौरव सेनापति के पद पर कर्ण का अभिषेक , कर्ण के सेनापतित्व में कौरव सेना द्वारा भीषण युद्ध, पाण्डवों के पराक्रम, शल्य द्वारा कर्ण का सारथि बनना, अर्जुन द्वारा कौरव सेना का भीषण संहार, कर्ण और अर्जुन का युद्ध, कर्ण के रथ के पहिये का पृथ्वी में धँसना, अर्जुन द्वारा कर्णवध, कौरवों का शोक, शल्य द्वारा दुर्योधन को सान्त्वना देना आदि वर्णित है।
  7. खिड़की से अचानक बारिश आई एक तेज़ बौछार ने मुझे बीच नींद से जगाया दरवाज़े खटखटाए ख़ाली बर्तनों को बजाया उसके फुर्तील्रे क़दम पूरे घर में फैल गए वह काँपते हुए घर की नींव में धँसना चाहती थी पुरानी तस्वीरों टूटे हुए छातों और बक्सों के भीतर पहुँचना चाहती थी तहाए हुए कपड़ों को बिखराना चाहती थी वह मेरे बचपन में बरसना चाहती थी मुझे तरबतर करना चाहती थी स्कूल जानेवाले रास्ते पर
  8. पहुँचना होगा दुर्गम पहाड़ों के उस पार तब कहीं देखने मिलेंगी बाँहें जिसमें कि प्रतिपल काँपता रहता अरुण कमल एक ले जाने उसको धँसना ही होगा झील के हिम-शीत सुनील जल में चाँद उग गया है गलियों की आकाशी लंबी-सी चीर में तिरछी है किरनों की मार उस नीम पर जिसके कि नीचे मिट्टी के गोल चबूतरे पर , नीली चाँदनी में कोई दिया सुनहला जलता है मानो कि स्वप्न ही साक्षात् अदृश्य साकार।
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