धनदत्त का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- लेकिन सास-ससुर के समझाने का धनदत्त पर रंचमात्र भी असर न हुआ | उल्टे उनकी रोज-रोज की सीख से तंग आकर वह उनसे चिढ़ गया | एक रात उस पापी ने सोते समय में अपनी पत्नी , सास एवं ससुर की सामूहिक हत्या कर डाली और घर का सारा धन लेकर वहां से भाग गया | ”
- ताम्रलिप्ति नगर में धनदत्त नामक एक धनवान वैश्य रहता था | अत्यंत धनी होने पर भी वह संतानहीन था | पुत्र प्राप्त करने के लिए उसने अनेक उपाय किए | अंत में अनेक विद्वान ब्राह्मणों को बुलाकर उसने इस विषय में कुछ करने के लिए उनसे आग्रह किया | ब्राह्मणों ने कहा कि ऐसा करना कोई कठिन कार्य नहीं है | इसके बाद वे एक कथा सुनाने लगे -
- किंतु जब धनदत्त ने विविध प्रकार से उसकी मनुहार की तो उसके ससुर का हृदय द्रवित हो गया | उसने कहा - ' ठीक है , तुम इतना आग्रह कर रहे हो तो जाओ कुछ दिनों के लिए अपने नगर हो आओ | मैं तुम्हारी यात्रा का प्रबंध कर दूंगा | एक बूढ़ी महिला को तुम्हारे साथ कर दूंगा , जो यात्रा में तुम दोनों का भली-भांति ध्यान रखेगी | '
- ऐसा विचारकर वह अपनी ससुराल के लिए चल पड़ा | जब वह अपने ससुर के गांव में पहुंचा तो छत पर बैठी रत्नावली की नजर अकस्मात ही उसके ऊपर जा पड़ी | वह तत्काल नीचे उतरी और लगभग भागती हुई धनदत्त के निकट पहुंचकर कहने लगी - ' मेरे स्वामी ! तुम मुझे छोड़कर कहां चले गए थे | तुम नहीं जानते तुम्हारे जाने के पश्चात मुझ पर क्या-क्या गुजरी है | '
- बंधु-बांधव और तुम्हारे मित्रों ने तुम्हारे दुर्दिनों में तुमसे किनारा कर लिया था , अत : ऐसे स्वार्थी मित्रों से मिलने का कोई लाभ नहीं है | तुम यहीं रहो | मेरा इतना बड़ा व्यापार है , इस व्यापार को मन लगाकर करो | ऐश्वर्य के समस्त साधन तुम्हें यहीं उपलब्ध हो जाएंगे | अपने नगर में जाने की कोई आवश्यकता नहीं है | ' धनदत्त के ससुर ने निर्णय दे दिया |
- बंधु-बांधव और तुम्हारे मित्रों ने तुम्हारे दुर्दिनों में तुमसे किनारा कर लिया था , अत : ऐसे स्वार्थी मित्रों से मिलने का कोई लाभ नहीं है | तुम यहीं रहो | मेरा इतना बड़ा व्यापार है , इस व्यापार को मन लगाकर करो | ऐश्वर्य के समस्त साधन तुम्हें यहीं उपलब्ध हो जाएंगे | अपने नगर में जाने की कोई आवश्यकता नहीं है | ' धनदत्त के ससुर ने निर्णय दे दिया |
- धीरे-धीरे गृहसेन युवा हुआ | धनदत्त उसके लिए वधू ढूंढ़ने लगा | व्यापार करने के बहाने गृहसेन को साथ लेकर वह उसके योग्य वधू ढूंढ़ने के लिए एक द्वीप में जा पहुंचा | वहां उसे धर्मगुप्त नामक वैश्य की पुत्री देवस्मिता के विषय में ज्ञात हुआ तो उसने बात चलाई | धर्मगुप्त नामक वैश्य की एक ही पुत्री थी , इसके साथ ही ताम्रलिप्ति नगर भी बहुत दूर था , यह सब विचार कर धर्मगुप्त ने संबंध अस्वीकार कर दिया |