धुलाना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ” इसी लिए तो मीना को रखा है वह सुबह आती है , आकर उनके सारे काम नहलाना धुलाना , खाना खिलाना सब काम करके चली जाती है और शाम को फिर आती है।
- ऐसे में बचपन में कई बार स्कूल से घर आने के बाद यूनीफार्म निकालना , हाथ-पैर धुलाना , दूध देने का काम अक्सर पापा करते थे क्योंकि मां शाम को देर से घर आती थीं।
- उस संदर्भ में ' प्रक्षालन' को 'धुलाना' करना साधारणतः सही प्रतीत होता है किन्तु जो लोग 'व्रतबंध' का सांस्कृतिक अर्थ ( ‘उपनयन संस्कार', जिसके द्वारा व्यक्ति को तीनों ऋणों से उऋण होने का व्रत दिलवाया जाता है)
- हमारा मुँह-हाथ धुलाना कोई सहज अनुष्ठान नहीं था , क्योंकि रामा को ‘ दूध बताशा राजा खाय ' का महामन्त्र तो लगातार जपना ही पड़ता था , साथ ही हम एक-दूसरे का राजा बनना भी स्वीकार नहीं करना चाहते थे।
- एक , ' ओबीडिएंट ' मातहत की जो बिना बोले चुपचाप करता रहे हर काम सीना भी , पिरोना भी खाना भी , पकाना भी , धोना भी , धुलाना भी , और हर रात बिस् तर पर , मनाए चुपचाप सुहागरात।
- एक , ' ओबीडिएंट ' मातहत की जो बिना बोले चुपचाप करता रहे हर काम सीना भी , पिरोना भी खाना भी , पकाना भी , धोना भी , धुलाना भी , और हर रात बिस् तर पर , मनाए चुपचाप सुहागरात।
- फिर शार्ट कट में उन्होंने सेवक को समझा दिया कि ठाकुर जी को ऐसे सुबह में उठाना है , नहलाना धुलाना , चन्दन टीका लगाना है , फूल माला इत्यादि से श्रिंगार कर चारों पहर खूब प्रेम से उन्हें भोजन कराना है ..
- होली के अवसर पर माँ आपके लिए क्या क्या करती थी , गुझिया बनाने से लेकर रंग और पिचकारी का इंतजाम , नए नए वस्त्र सिलवाना और अंत में घंटो रगड़ रगड़ के नहलाना धुलाना ! सारा त्यौहार उन दिनों माँ के इर्द गिर्द ही घूमता था ! त्यौहार और खुशियों का पर्याय होती थी तब माँ !
- विवाह से पूर्व ' तिलक ' का संक्षिप्त विधान इस प्रकार है- वर पूर्वाभिमुख तथा तिलक करने वाले ( पिता , भाई आदि ) पश्चिमाभिमुख बैठकर निम्नकृत्य सम्पन्न करें- मङ्गलाचरण , षट्कर्म , तिलक , कलावा , कलशपूजन , गुरुवन्दना , गौरी-गणेश पूजन , सर्वदेव नमस्कार , स्वस्तिवाचन आदि इसके बाद कन्यादाता वर का यथोचित स्वागत-सत्कार ( पैर धुलाना , आचमन कराना तथा हल्दी से तिलक करके अक्षत लगाना ) करें ।
- टोटल में ई समझ लो कि पहले जैसे धनिकराम जी की और अब मेरी सेवा तुम करते हो उससे दस गुना आगे बढ़कर तुम इनकी करना और अब आज से इन्हें ही अपना मालिक समझना . ..फिर शार्ट कट में उन्होंने सेवक को समझा दिया कि ठाकुर जी को ऐसे सुबह में उठाना है, नहलाना धुलाना, चन्दन टीका लगाना है, फूल माला इत्यादि से श्रिंगार कर चारों पहर खूब प्रेम से उन्हें भोजन कराना है..