धौम्य ऋषि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- महाभारत के वनपर्व में धौम्य ऋषि , युधिष्टर को भारतवर्ष के तीर्थ स्थलों के बारे में बताते है जहाँ पर गंगाद्वार अर्थात् हरिद्वार और कनखल के तीर्थों का भी उल्लेख किया गया है।
- महाभारत के वनपर्व में धौम्य ऋषि , युधिष्टर को भारतवर्ष के तीर्थ स्थलों के बारे में बताते है जहाँ पर गंगाद्वार अर्थात् हरिद्वार और कनखल के तीर्थों का भी उल्लेख किया गया है।
- भविष्य पुराण में भी इस व्रत का उल्लेख मिलता है- ‘ कृत्यशिरोमणो , कार्तिक शुक्ल षष्ठी षष्ठीकाव्रतम ' यानी धौम्य ऋषि ने द्रोपदी को बतलाया कि सुकन्या ने इस व्रत को किया था।
- धौम्य ऋषि ने अपने तीर्थयात्रा प्रसंग में वर्णन किया है कि प्रयाग में सभी तीर्थों , देवों और ऋषि-मुनियों का सदैव से निवास रहा है तथा सोम, वरूण व प्रजापति का जन्मस्थान भी प्रयाग ही है।
- धौम्य ऋषि ने अपने तीर्थयात्रा प्रसंग में वर्णन किया है कि प्रयाग में सभी तीर्थों , देवों और ऋषि-मुनियों का सदैव से निवास रहा है तथा सोम , वरूण व प्रजापति का जन्मस्थान भी प्रयाग ही है।
- प्रमुख शिष्य और उनके गुरु श्रीराम : गुरु वशिष्ठ श्री कृष्ण : महर्षि सांदीपनि आरुणि : धौम्य ऋषि उपमन्यु : धौम्य ऋषि संत एकनाथ : श्री जनार्दन स्वामी स्वामी विवेकानन्द : स्वामी रामकृष्ण परमहंस छत्रपति शिवाजी : संत रामदास आदि शंकराचार्य : श्री गोविंदाचार्य
- प्रमुख शिष्य और उनके गुरु श्रीराम : गुरु वशिष्ठ श्री कृष्ण : महर्षि सांदीपनि आरुणि : धौम्य ऋषि उपमन्यु : धौम्य ऋषि संत एकनाथ : श्री जनार्दन स्वामी स्वामी विवेकानन्द : स्वामी रामकृष्ण परमहंस छत्रपति शिवाजी : संत रामदास आदि शंकराचार्य : श्री गोविंदाचार्य
- प्रमुख शिष्य और उनके गुरु श्रीराम : गुरु वशिष्ठ श्री कृष्ण : महर्षि सांदीपनि आरुणि : धौम्य ऋषि उपमन्यु : धौम्य ऋषि संत एकनाथ : श्री जनार्दन स्वामी स्वामी विवेकानन्द : स्वामी रामकृष्ण परमहंस छत्रपति शिवाजी : संत रामदास आदि शंकराचार्य : श्री गोविंदाचार्य
- प्रमुख शिष्य और उनके गुरु श्रीराम : गुरु वशिष्ठ श्री कृष्ण : महर्षि सांदीपनि आरुणि : धौम्य ऋषि उपमन्यु : धौम्य ऋषि संत एकनाथ : श्री जनार्दन स्वामी स्वामी विवेकानन्द : स्वामी रामकृष्ण परमहंस छत्रपति शिवाजी : संत रामदास आदि शंकराचार्य : श्री गोविंदाचार्य