नभमंडल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस मायानगरी के नभमंडल में ऐसे कई तारे हैं जो कभी निराशा की गर्दिश में छुपे थे लेकिन किस्मत और अपनी मेहनत के बल पर उन्होंने खुद के लिए शीर्ष स्थान हासिल किया .
- ( 0) अ+ अ- भारतीय सिनेमा के नभमंडल में स्मिता पाटिल ऐसे ध्रुवतारे की तरह हैं, जिन्होंने अपने सशक्त अभिनय से समानांतर सिनेमा के साथ-साथ व्यावसायिक सिनेमा में भी दर्शकों के बीच अपनी खास पहचान बनाई।
- जल , थल, वायु और ध्वनि के अतिरिक्त नभमंडल पर्यावरण के अंग हैं, स्वभावतः प्रकृति का समृद्ध लोक, मनुष्य जीवन से उसका सहचर्य और उसके प्रति हमारा दृष्टिकोण ही पर्यावरण के संरक्षण या क्षरण का कारण बनता है।
- कश्यप ने वेद मंत्रों से जब उस अंड की स्तुति की तो कुछ ही क्षणों में उसके फटने से समूची पृथ्वी , संपूर्ण नभमंडल और दसों दिशाओं में अपनी किरणों से प्रकाश बिखेरता एक कांतिवान , तेजस्वी बालक प्रकट हुआ , जो सूर्य आदि सहस्र नामों से विख्यात हुआ।
- अलीन मित्र , इक इक शब्द अपना सीना चिर जैसे उसमे से दर्द निकाल रोप रहा है मेरी ही आँखों और सिने में , हर शब्द पुरे प्रयास से कविता के स्तर को जागरण के नभमंडल पर किसी ध्रुव तारे की तरह चमका रहा है बेहद बेहतरीन निशब्द करती रचना !
- सन् 1960 की यू-2 विमान घटना वैज्ञानिक उपकरणों के उपयोग का प्रमुख उदाहरण है जब नभमंडल में पृथ्वी से पर्याप्त ऊँचाई पर वैज्ञानिक साधनों एवं फोटोग्राफी की विशिष्ट सामग्री से युक्त लड़नेवाले अमरीकी विमानचालक को रूस ने तोपों द्वारा गिरा लिया था और इस प्रकार रूसी सैनिक संस्थानों की फोटो लेने की अमरीकी युक्ति का अनावरण किया था।
- सन् 1960 की यू- 2 विमान घटना वैज्ञानिक उपकरणों के उपयोग का प्रमुख उदाहरण है जब नभमंडल में पृथ्वी से पर्याप्त ऊँचाई पर वैज्ञानिक साधनों एवं फोटोग्राफी की विशिष्ट सामग्री से युक्त लड़नेवाले अमरीकी विमानचालक को रूस ने तोपों द्वारा गिरा लिया था और इस प्रकार रूसी सैनिक संस्थानों की फोटो लेने की अमरीकी युक्ति का अनावरण किया था।
- आते कैसे सूने पल जीवन में ये सूने पल ? जब लगता सब विश्रृंखल ; तृण , तरु , पृथ्वी , नभमंडल ! खो देती उर की वीणा झंकार मधुर जीवन की , बस साँसों के तारों में सोती स्मृति सूनेपन की ! बह जाता बहने का सुख , लहरों का कलरव , नर्तन , बढ़ने की अति-इच्छा में जाता जीवन से जीवन ! आत्मा है सरिता के भी जिससे सरिता है सरिता ;
- आते कैसे सूने पल जीवन में ये सूने पल ? जब लगता सब विश्रृंखल ; तृण , तरु , पृथ्वी , नभमंडल ! खो देती उर की वीणा झंकार मधुर जीवन की , बस साँसों के तारों में सोती स्मृति सूनेपन की ! बह जाता बहने का सुख , लहरों का कलरव , नर्तन , बढ़ने की अति-इच्छा में जाता जीवन से जीवन ! आत्मा है सरिता के भी जिससे सरिता है सरिता ;