नवाना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- शीश नवाना है तो उसके लिए यही क्षण उपयुक्त है इसी पल को जीने में निहित है बंदगी ! ! कुछ भी शाश्वत नहीं है...! कुछ भी शाश्वत नहीं है...
- गरदन के लिए प्रयुक्त ' गर' से बने मुहावरों में 'गर नवाना : अधीनता स्वीकार करना, शर्मिंदा होना', 'गर अंइठना : गला दबाकर मार डालना', 'गर फंसना : बंध जाना या संकट में फसना' आदि हैं.
- कविवर रहीम कहते हैं कि घर से छूटकर दूसरी जगह पर कमाना बहुत अच्छा लगता है पर इसके लिये वहां पर दूसरों के आगे सिर नवाना पड़ता है और हमारे ऊपर बैठा सबका रक्षक परमात्मा हंसता है।
- सिख लेखक डॉ महीप सिंह के अनुसार गुरुद्वारा में जाकर केवल गुरु ग्रन्थ साहिब के आगे शीश नवाने से कुछ भी नहीं होगा . जब तक गुरु साहिबान की शिक्षा को जीवन में नहीं उतारा जायेगा तब तक शीश नवाना केवल मूर्ति पूजा के सामान अन्धविश्वास हैं.
- हम एक व् यक्ति विशेष को इतना शक्तिशाली बना देते हैं कि पार्टी में बाकी लोगों को यदि अपना अस्तित् व कायम रखना है तो उसको शीश नवाना ही पड़ेगा , इसीलिए कोई पार्टी व् यक्ति-विशेष के रिमोट से संचालित उपकरण बनकर रह जाती है .....
- भला भयो घर से छुट्यो , हंस्यो सीस परिखेतकाके काके नवत हम, अपन पेट के हेत कविवर रहीम कहते हैं कि घर से छूटकर दूसरी जगह पर कमाना बहुत अच्छा लगता है पर इसके लिये वहां पर दूसरों के आगे सिर नवाना पड़ता है और हमारे ऊपर बैठा सबका रक्षक परमात्मा हंसता है।वर्तमान...
- भला भयो घर से छुट्यो , हंस्यो सीस परिखेतकाके काके नवत हम, अपन पेट के हेत कविवर रहीम कहते हैं कि घर से छूटकर दूसरी जगह पर कमाना बहुत अच्छा लगता है पर इसके लिये वहां पर दूसरों के आगे सिर नवाना पड़ता है और हमारे ऊपर बैठा सबका रक्षक परमात्मा हंसता है।
- इन्ही सच्चाइयो की वजह से हिन्दुओ को कभी भी किसी मुस्लिम की मजार पर नहीं जाना चाहिए क्योकि यदि वह हिंदू परिवार हिंदू बचा रह पाया तो अपने स्वाभिमानी पुरखो के शौर्य के बल पर और उस हिंदू को अपने इन महान पुरखो की समाधी पर जाकर उनकी पूजा करनी चाहिए नाकि उसके पुरखो को मिटाने वाले जेहादी मुस्लिमो की मजार पर शीश नवाना चाहि ए .
- यहीं हाल घाटों का होता , सभी एक दूसरे को सहयोग करते नजर आते , आगे या पीछे छठव्रती नजर आते , तो लोग उन्हें पहले जाने का रास्ता दिखाते , गर साष्टांग प्रणाम कर रही होती छठव्रती , तो उनके आगे शीष नवाना नहीं भूलते , उस वक्त लोग ये भूल जाते कि वो किस जाति की हैं , बस ख्याल यहीं हैं कि वो छठवती हैं।
- AMआपके ब्लॉग की ज्ञान गंगा के आगे नतमस्तक हो कर सर नवाना ही अच्छा लगता है | लम्बी टिपण्णी - यहाँ - करना मेरी काबिलियत से बाहर की बात है | यहाँ मैं एक नहीं , कई कई बार पढ़ कर जाती हूँ - टिप्पणियां भी हर बार पढ़ जाती हूँ, परन्तु अपने आप को कुछ कहने योग्य मैं स्वयं को नहीं समझ पाती - सो अक्सर चुप ही लौट जाती हूँ