नाथ पंथ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कुछ समय बाद दैवयोग से नाथ पंथ के योगी मछेंद्रनाथ अपने शिष्य गोरखनाथ के साथ उसी राज्य में आये।
- विद्वान् समप्रदाय , नाथ पंथ, महानुभवपर राजदासी पंथ आदि धार्मिक सम्प्रदायों ने अपने विशेष ढंग पर इस साहित्यको समृद्ध किया है.
- विद्वान् समप्रदाय , नाथ पंथ, महानुभवपर राजदासी पंथ आदि धार्मिक सम्प्रदायों ने अपने विशेष ढंग पर इस साहित्यको समृद्ध किया है.
- सिद्ध मीनपा ही मत्स्येन्द्रनाथ हैं , जिनके शिष्य गुरु गोरखनाथ हैं , जो प्रसिद्ध नाथ पंथ के आदिगुरु माने जाते हैं।
- इसका एक कारण यह भी हो सकताहै कि डुग्गर के गाथाकारों ने नाथ पंथ में दीक्षित होने के कारण ऐसा किया हो .
- मध्यकाल में प्रचारित नाथ पंथ में भी गुरू मत्स्येन्द्रनाथ ने असम के कामरूप प्रदेश में जाकर इसी प्रकार की कोई साधना की होगी।
- नाथ पंथ के अनुसार यह सबसे महत्वपूर्ण है कि है कि आकांक्षी उसके शरीर को अंतर बाह्य शुद्ध पूरी तरह से करना चाहिए . .
- गुरु गोरक्षनाथ और नाथ पंथ की योग साधना एवं क्रिया कलापों की प्रतिक्रिया ही सभी निगरुण एवं सगुणमार्गी सन्तों के साहित्य में स्पष्ट होती है।
- मछेन्दर्नाथ ने गोरखनाथ से कहाः ” तुम चौरंगी को नाथ पंथ की दीक्षा दो और सवर् िवद्याओं मंे इसे पारंगत करके इसके द्वारा राजा को योग सामथ्यर् िदखाकर रानी को दंड िदलवाओ।
- नाथ पंथ “अलख निरंजन” की योगपरक साधना का समर्थक तथा बाह्याडंबरों का विरोधी था और महानुभाव पंथ वैदिक कर्मकांड तथा बहुदेवोपासना का विरोधी होते हुए भी मूर्तिपूजा को सर्वथा निषिद्ध नहीं मानता था।