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निबौरी का अर्थ

निबौरी अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. क्योंकि कभी न कभी आप नीम के पेड़ के बारे में सोचेंगे , निबौरी के बारे में सोचेंगे, नीम के पेड़ की छांह के बारे में विचारे-इनायत करेंगे।
  2. क्योंकि कभी न कभी आप नीम के पेड़ के बारे में सोचेंगे , निबौरी के बारे में सोचेंगे, नीम के पेड़ की छांह के बारे में विचारे-इनायत करेंगे।
  3. क्योंकि कभी न कभी आप नीम के पेड़ के बारे में सोचेंगे , निबौरी के बारे में सोचेंगे, नीम के पेड़ की छांह के बारे में विचारे-इनायत करेंगे।
  4. क्योंकि कभी न कभी आप नीम के पेड़ के बारे में सोचेंगे , निबौरी के बारे में सोचेंगे , नीम के पेड़ की छांह के बारे में विचारे-इनायत करेंगे।
  5. क्योंकि कभी न कभी आप नीम के पेड़ के बारे में सोचेंगे , निबौरी के बारे में सोचेंगे , नीम के पेड़ की छांह के बारे में विचारे-इनायत करेंगे।
  6. उन्मुक्त जी , बचपन में चौथी कक्षा में एक कविता पढ़ी थी-हम पंछी 'उन्मुक्त' गगन केपिंजरबंद ना गा पाएँगेकनक तीलियों से टकराकरपुलकित पंख टूट जाएँगेहम हैं बहता जल पीनेवालेमर जाएँगे भूखे प्यासेकहीं भली है कटुक निबौरी (नीम का फल)कनक कटोरी की मैदा से...शायद उन्मुक्त जी के नाम की वजह से याद आ गया लेकिन काफ़ी प्रासंगिक है.
  7. या मुरली मुरलीधर की , अधरा न धरी अधरा न धरौंगी नारी नारी चीख चीख कर संसद में बंदर नें बाँटाइसकी सीटें, उसकी सीटें, मेरा तराजू उसका काँटाएक विधेयक, सदियों लटके, चौराहे पर रोता पायानारी के हक की बातों को, नारी के जायों ने खायाअंबर सुन लो फँट जाओगे, अगर गिरेबाँ पकडा मैनेयह इलाज कडुवा है जो, मैं ठान निबौरी, अगर फरौंगीया मुरली मुरलीधर की, अधरा न धरी अधरा न धरौंगी।
  8. *** परछाईं नृत्य करती है मिट्टी की दीवार पर , तुम्हारे शरीर से फूटती है, गंध ,रोटी का स्वाद नीम की निबौरी का स्वाद मेरी उँगली का स्वाद *** मैंने काढे हैं बेल बूटे, चादर पर हर साल साथ का एक बूटा, एक पत्ता फिर भरा है उनमें हमारी गंध, हमारी खुशबू हमारा साथ हमारी हँसी, आओ अब इस चादर पर लेटें साथ साथ साथ साथ *** *** *** मैं और तुम..
  9. ओसारा , डीह , मसुरी , माँडने कढ़ा , शिकनी , जोतदार , सूप , निबौरी , उज्जर-वाजर , दिया देवी , बंसवारी , उजरौटी , पाग , छानी-छप्पर , टेंट , खपरैल , मड़ैया , टूसे , जोन्हा , पोथी , कजरी , चैता , बिरहा , क्वार , बासन जैसे हजारों ऐसे शब्द हैं जिनमें लोक की संवेदनाएँ धड़कती हैं , जिनके मरने से कविता की जन-संवेदनाओं को व्यक्त करने की शक्ति ही खत्म हो जाएगी।
  10. ओसारा , डीह , मसुरी , माँडने कढ़ा , शिकनी , जोतदार , सूप , निबौरी , उज्जर-वाजर , दिया देवी , बंसवारी , उजरौटी , पाग , छानी-छप्पर , टेंट , खपरैल , मड़ैया , टूसे , जोन्हा , पोथी , कजरी , चैता , बिरहा , क्वार , बासन जैसे हजारों ऐसे शब्द हैं जिनमें लोक की संवेदनाएँ धड़कती हैं , जिनके मरने से कविता की जन-संवेदनाओं को व्यक्त करने की शक्ति ही खत्म हो जाएगी।
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