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निर्वाह होना का अर्थ

निर्वाह होना अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. वैसे ही जैसे अखाडे में पहलवान चारों खाने चित्त गिर जाता है ! प्रश्न : बुढापे में चारों खाने चित्त होने के स्थान पर होना क्या चाहिए? संबंधों का निर्वाह होना चाहिए।
  2. ( २) विश्वास पूर्वक संबंधों का निर्वाह करना(३) तन-मन-धन रुपी अर्थ का उपयोगिता, सदुपयोगिता, प्रयोजनशीलता के अर्थ में अर्पण-समर्पण के लिए उदार-चित्त रहनाइस तरह - संबंधों का निर्वाह होना ही “न्याय” है।
  3. सूचना , सूचना का पठन, पठन से अध्ययन, अध्ययन के बाद वस्तु से तदाकार होना, वस्तु के साथ अपने सम्बन्ध की पहचान होना, फ़िर जीने में संबंधों का निर्वाह होना - यही कुल मिला कर क्रम है।
  4. इसके थोड़े दिनों बाद अनाथ बन्धु बैरिस्टरी पास करके साहब बहादुर बने हुए वापस लौट आये परन्तु देहात में बैरिस्टर साहब का निर्वाह होना कठिन था इसलिए पास ही एक कस्बे में होटल का आश्रय लेना पड़ा।
  5. इसके थोड़े दिनों बाद अनाथ बन्धु बैरिस्टरी पास करके साहब बहादुर बने हुए वापस लौट आये परन्तु देहात में बैरिस्टर साहब का निर्वाह होना कठिन था इसलिए पास ही एक कस्बे में होटल का आश्रय लेना पड़ा।
  6. गुरु द्रोणाचार्य ब्राह्मण थे , धनुर्विद्या के महान आचार्य थे , पर बड़े गरीब थे | इतने गरीब थे कि जीवन का निर्वाह होना कठिन था | घर में कुल तीन प्राणी थे - द्रोणाचार्य स्वयं , उनकी पत्नी और उनका पुत्र अश्वत्थामा | पुत्र की अवस्था पांच-छ : वर्ष की थी |
  7. रीति का अर्थ कलासिकों का अनुकरण है : काव्य की वस्तु में ‘सत्य' सर्वोपरि है और सत्य का अर्थ है मानव द्वारा अनुभूत सार्वभौम सत्य; और कल्पना के उद्वेग के स्थान पर बौद्धिक संयम और संतुलन होना चाहिए; अभिव्यक्ति में स्पष्टता और लाघव होना चाहिए; रचनाविधान में व्यवस्था, अनुपान और संतुलन का सम्यक् निर्वाह होना चाहिए।
  8. रीति का अर्थ कलासिकों का अनुकरण है : काव्य की वस्तु में ‘सत्य' सर्वोपरि है और सत्य का अर्थ है मानव द्वारा अनुभूत सार्वभौम सत्य; और कल्पना के उद्वेग के स्थान पर बौद्धिक संयम और संतुलन होना चाहिए; अभिव्यक्ति में स्पष्टता और लाघव होना चाहिए; रचनाविधान में व्यवस्था, अनुपान और संतुलन का सम्यक् निर्वाह होना चाहिए।
  9. मैं भी आपके विचारों से सहमत हूँ | अन्तर्वासना जैसी साईट में माँ-बेटा , पिता-बेटी, भाई-बहन के रिश्तो का सम्मान होना ही चाहिए | बेशक आज के दौर में हम जी रहे है, लेकिन हमारी संस्कृति इन सब की इज़ाज़त आज भी नहीं देती है और १००० साल बाद भी नहीं देगी | संस्कृति को बनाए रखना हरेक भारतीय का कर्त्तव्य है और इस कर्त्तव्य का निर्वाह होना चाहिए |
  10. काव्यशास्त्र या रीति का ज्ञान प्रतिभा से अधिक आवश्यक है ; रीति का अर्थ कलासिकों का अनुकरण है : काव्य की वस्तु में ‘ सत्य ' सर्वोपरि है और सत्य का अर्थ है मानव द्वारा अनुभूत सार्वभौम सत्य ; और कल्पना के उद्वेग के स्थान पर बौद्धिक संयम और संतुलन होना चाहिए ; अभिव्यक्ति में स्पष्टता और लाघव होना चाहिए ; रचनाविधान में व्यवस्था , अनुपान और संतुलन का सम्यक् निर्वाह होना चाहिए।
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