निलज का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मसलन ” रे मन निपट निलज अनीति / जियत की कहि को चलावै मरति विषयनि प्रीति / ……………… .. …… / देह छिन छिन होति छीनी दृष्टि देखत लोग / सूर स्वामी सौं बिमुख ह्वै सती कैसे भोग ? ” सती न होना निपट निर्लज्जतापूर्ण अनीति है।
- चौथी बात यदि कृष्ण भक्त कवियित्रियों की रचनाओं को सरसरी तौर से भी देखा जाय तो यह पाते हैं कि ” कैसे जल लाऊँ मैं पनघट जाऊँ / होरी खेलत नन्द लाड़िलो क्यों कर निबहन पाऊँ / वे तो निलज फाग मदमाते हौं कुल बधू कहाऊँ / जो छुवें अंचल रसिक बिहारी धरती फारि समाऊँ।
- यदि कपे ! मम राक्षस राज का स्तवन है तुझसे न किया गया ; कुछ नहीं डर है , पर क्यों वृथा निलज ! मानव मान बढ़ा रहा ? 6 . पं . गिरिधर शर्मा नवरत्न , दूसरे संस्कृत के विद्वान , जिनकी कविताएँ ' सरस्वती ' में बराबर छपती रहीं झालरापाटन के पं . गिरिधर शर्मा नवरत्न हैं।
- दूरहिं ते वह बेनु , अधार धारि बारम्बार बजावते कभी वे अपने उजड़े हुए नीरस जीवन के मेल में न होने के कारण वृंदावन के हरे भरे पेड़ों को कोसती हैं मधुबन तुम कत रहत हरे ? बिरह बियोग स्यामसुंदर के ठाढ़े क्यों न जरे ? तुम हौ निलज , लाज नहिं तुमको , फिर सिर पुहुप धरे ससा स्यार औ बन के पखेरू धिक धिक सबन करे।