पञ्चाक्षरी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जैसे चारों वेदों का बीज चौबीस अक्षर वाली गायत्री है , वैसे ही गायत्री का मूल पञ्चाक्षरी मन्त्र प्रणव और व्याहृतियाँ हैं।
- अधिक न बने , तो गायत्री चालीसा पाठ एवं पञ्चाक्षरी मन्त्र ' ॐ भूर्भुवः स्वः ' का जप ही कर लिया करे ।।
- योग का साधक भी ‘ पञ्चाक्षरी विद्या ' के द्वारा कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करके चक्रों का भेदन कर सहस्रार में विलसित शिव का साक्षात्कार कर लेता है।
- अकारादि क्रमेणैव नकारादि यथा क्रमम्॥ इस पंचाक्षरी मंत्र से ही सम्पूर्ण वेद प्रकट हुआ और स्वयं को भी वेद में प्रकट कर दिया इस ‘ पञ्चाक्षरी विद्या ' ने।
- जो २ ४ अक्षरों का पूर्ण मन्त्र याद नहीं कर पाते , वे प्रणव और व्याहृतियाँ ( ऊँ भूर्भुव : स्व : ) इतना पञ्चाक्षरी मन्त्र का जप करके काम चला सकते हैं।
- पञ्चाक्षरी विद्या ' तो ऐसी है कि इसमें सबका अधिकार है पर परम्परा से अवश्य अपनी पद्धति को ग्रहण करना चाहिये क्योंकि अगुरुपूर्वक मंत्र अपना फल प्रदान करने में समर्थ नहीं होता है ।
- खड़िया से उन अक्षरों को अध्यापक बना दें और बालक उस पर कलम फेरकर अक्षर बना दे अथवा अध्यापक और छात्र दोनों कलम पकड़ लें और उपरोक्त पञ्चाक्षरी गायत्री मन्त्र को पट्टी पर लिख दें ।।
- जिन्होंने श्रीकृष्ण को पञ्चाक्षरी विद्या का और आत्मस्वरूप का ज्ञान प्रदान किया था उन महान् तपस्वी मुनि उपमन्यु ने शौनकादि को उत्तर दिया-‘भगवान् शंकर के शाप से ‘सुंदर ' पृथ्वी पर मनुष्य बना, वह उन्हीं की आज्ञा से दक्षिण से कैलास की ओर जा रहा है, उसी की यह चमक है।
- जिन्होंने श्रीकृष्ण को पञ्चाक्षरी विद्या का और आत्मस्वरूप का ज्ञान प्रदान किया था उन महान् तपस्वी मुनि उपमन्यु ने शौनकादि को उत्तर दिया - ‘ भगवान् शंकर के शाप से ‘ सुंदर ' पृथ्वी पर मनुष्य बना , वह उन्हीं की आज्ञा से दक्षिण से कैलास की ओर जा रहा है , उसी की यह चमक है।