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पतनकारी का अर्थ

पतनकारी अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. या तो वे जिंदगी से इतने ज्यादा चिपटे हुए थे कि शहीद की मौत मरने की उनमें इच्छा ही नहीं थी या उन्हें यह ज्ञात हो जाता था कि हिंदू धर्म झूठा और पतनकारी है।
  2. इसलिए मेरे लिए संसार भर के कुशासक महत्वहीन हैं उनके कृत्य जो मानवता के लिए पतनकारी हैं उनका विरोध करना ही मेरा धर्म है तथा सही दिशा में कदम उठाने वालों का साथ देना ही मेरा धर्म है।
  3. यह त् यक्तिमार्ग जो इस लेख में शिक्षकों के लिए सुझाया गया है शिक्षकों को ” नौकरी ” की उस अध : पतनकारी वृत्ति से उबारने के लिए सुझाई गयी है जिससे कि वे बुरी तरह ग्रस् त हैं।
  4. यह त् यक्तिमार्ग जो इस लेख में शिक्षकों के लिए सुझाया गया है शिक्षकों को ” नौकरी ” की उस अध : पतनकारी वृत्ति से उबारने के लिए सुझाई गयी है जिससे कि वे बुरी तरह ग्रस् त हैं।
  5. हिन्दुस्तान का प्राचीन धार्मिक साहित्य मूर्तिपूजा को मानव के लिए पतनकारी मानता है लेकिन बाद में जब दार्शनिकों के प्रभाव से मूर्तिपूजा भारत में आम हो गई और हर तरफ़ उनकी तूती बोलने लगी तब मूर्तिपूजा को मान्यता देने वाले प्रकरण भी रच लिए गए।
  6. निश्चित ही स्वयं गांधी को यह अधिक प्रिय होता लेकिन कुछ गलतफहमियों से बचने के लिए ही वह ‘ प्रेम ' की जगह अहिंसा शब्द का प्रयोग करते हैं क्योंकि ‘‘ कम से कम अंग्रेजी भाषा में प्रेम के अनेक अर्थ हैं और वासना के अर्थ में मानव-प्रेम पतनकारी प्रवृत्ति भी हो सकता है।
  7. शुद्ध मन में अविहिताचरण ( धर्म - विरुद्ध आचरण ) की भावनायें नहीं उठतीं और अनाचार , दुराचार , पापाचार , भ्रष्टाचार आदि पतनकारी प्रवृत्तियों के अभाव में सदाचार , सद्विचार , सत्यनिष्ठा , क्षमा दया आदि दैवी प्रकृति के लक्षण की प्रधानता हो के कारण मनुष्यलोक में सदा सुख शान्ति का अनुभव करता है।
  8. शुद्ध मन में अविहिताचरण ( धर्म - विरुद्ध आचरण ) की भावनायें नहीं उठतीं और अनाचार , दुराचार , पापाचार , भ्रष्टाचार आदि पतनकारी प्रवृत्तियों के अभाव में सदाचार , सद्विचार , सत्यनिष्ठा , क्षमा दया आदि दैवी प्रकृति के लक्षण की प्रधानता हो के कारण मनुष्यलोक में सदा सुख शान्ति का अनुभव करता है।
  9. और तब अगर वह अहंकार की पतनकारी जकड़न से बच भी गया , तो भी उसे लोक की सेवा में विनम्रता से समर्पित करने के पश्चात् जब अपनी उस असामान्य भावभूमि से निकल कर सामान्य मनोदशा में वापस आ चुका होता है , तो अपनी खुद की ही कृति का पाठ करते समय उसे अचरज हो उठता है कि क्या वाकई इसे उसी ने लिखा है .
  10. इस प्रकार के अपने नाना नीच अनुरागों से परिचालितहोकर मनुष्य असत्य और अहित-मूलक नाना प्रकार की पतनकारी गतियाँ ग्रहणकरता है , और अपने इन सुख-विषयक विविध नीच अनुरागों के वशीभूत होकर उनकीतृप्ति के लिए क्या मनुष्य ज गत्; क्या पशु जगत् और क्या नेचर के औरजगतों के सम्बन्ध में नाना प्रकार के अन्याय वा अत्याचार वा पाप वाअपराधमूलक कर्म करने के लिए मजबूर होता है, और विविध प्रकार सेमिथ्याचारी बनता है.
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