पतवा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आज भाषा , नदियां , तालाब , संस्कृतियां , और प्रजातियां सभी कुछ तो विलुप्त हो रहा है , इस हिन्दी को हम कब तक बचा पायेंगे , हिंग्लिश तो बना ही चुके है कल किसी नयी बयार में हिन्दी की जगह कुछ और बन जायेगा और हम नाव खेते रहेंगे बिना पतवा र. .
- दादुरा के बोलिया पपिहरा के बैनवा तोहंका बोलावे दिन रात हो || लुक -छिप , लुक -छिप चंदवा निहारे ला से ढल -ढल ढलके ले रात हो | अमंवा के पतवा ,बबुलवा के ठुन्ठवा महुआ के छूटे नाहीं साथ हो ||१|| दादुरा के बोलिया - खेतवा के मेडिया ,इनरवा के दंतिया रतिया के सिसके ले रात [...]
- अड़हुल तो फूल होता है लेकिन अँड़ुहर तेली से कोई अगर यह पूछ देता कि अड़हुल के फुलवा क गो पतवा ( अड़हुल के फूल में कितनी पंखुड़ियाँ ? ) तो पंखुड़ियों की संख्या बताने के बजाय अँड़ुहर तेली उसके सात पुश्तों तक की बूढ़ी , जवान , बच्ची सबसे अपना नाता जोड़ने में लग जाता।
- फ़िल्म ' गोदान' के गानें फ़िल्म के स्थान, काल, पात्र के मुताबिक लोक शैली के ही थे, जिनमें से उल्लेखनीय हैं गीता दत्त व महेन्द्र कपूर का गाया “ओ बेदर्दी क्यों तड़पाए जियरा मोरा रिझाय के”, लता मंगेशकर का गाया “चली आज गोरी पिया की नगरिया” व “जाने काहे जिया मोरा डोले रे”, मुकेश का गाया “हिया जरत रहत दिन रैन हो रामा”, आशा भोसले का गाया “जनम लियो ललना कि चांद मोरे अंगना उतरी आयो हो”, तथा मोहम्मद रफ़ी का गाया “बिरज में होली खेलत नंदलाल” और “पीपरा के पतवा सरीखे डोले मनवा”।