पनिहारन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यहाँ पनिहारन है गृहस्थाश्रम की तमाम जिम्मेदारियाँ उठाता और साथ-साथ परमपिता के पूजन-आराधन में लिप्त एक गृहस्थ , सहेलियाँ हैं जीवन-यात्रा में संपर्क में आने वाले विविध लोग , क्रियाकलाप , जबकि गागर है सिर पर साक्षात प्रभु का साया।
- “ राधा , ये तूने क्या किया , मैं तो भक्तों के प्रेम में बंधा हूँ , उनके लिए उन जैसा ही सामान्य हूँ , सामने होकर लड़ने गयी तब भी मैं तो ग्वाला ही रहा , तुमने स्वयं को भी पनिहारन कहलवाया ” .
- हरगिज नहीं इस लिए कि बीवी तो उसके पास मौजूद है जो वफादार खूबसूरत और खूब सीरत होने के अलावा फरमांबरदार और तालीम याफता है , कोई घसियारन , पनिहारन , कलालन , खतरानी , वेशईन नहीं है बल्कि हिन्दू कौम की सबसे उंची और सबसे आला जात यानि ब्रह्मन कुल में पैदाशुदा है।
- हरगिज नहीं इस लिए कि बीवी तो उसके पास मौजूद है जो वफादार खूबसूरत और खूब सीरत होने के अलावा फरमांबरदार और तालीम याफता है , कोई घसियारन , पनिहारन , कलालन , खतरानी , वेशईन नहीं है बल्कि हिन्दू कौम की सबसे उंची और सबसे आला जात यानि ब्रह्मन कुल में पैदाशुदा है।
- इस संदर्भ में एक बार महर्षि नारद Mon , 09 Jun 2008 07:29:38 GMT http://hindi.webdunia.com/religion/religion/article/0806/09/1080609045_1.htm 'सीखनी है गर फकीरी' http://hindi.webdunia.com/religion/religion/article/0806/02/1080602047_1.htm पनिहारन है गृहस्थाश्रम की तमाम जिम्मेदारियाँ उठाता और साथ-साथ परमपिता के पूजन-आराधन में लिप्त एक गृहस्थ, सहेलियाँ हैं जीवन-यात्रा में संपर्क में आने वाले विविध लोग, क्रियाकलाप, जबकि गागर है सिर पर साक्षात प्रभु का साया।
- जिस प्रकार एक पनिहारन अपने सिर पर पानी से अनेक मटकों को लिए हुए अपनी सहेलियों के साथ बात करती जाती है और मटकों का भी ध्यान बनाए रखती है , ठीक उसी प्रकार साधक को भी जगत में अपने कर्तव्यों को कुशलता पूर्वक निभाते हुए चित्त में गुरू चरणों का ध्यान बनाए रखना चाहिए।
- रांझा जोगी है , मैं उसकी जोगिन हूं | मैं तो उसके लिए सब-कुछ करने को तैयार हूं | मैं तो उसकी पनिहारन बन जाऊंगी | मुझे तो दुख यही है कि योगी से प्रेम होने से पहले का समय व्यर्थ ही बीत गया | अब जब वह मिल गया है , तो उसने मुझे पूरी तरह अपने वश में कर लिया है |
- बस कुछ अहसास हैं जो पैदा हुये हिंदी-युग्म के वार्षिक-सम्मेलन के दौरान मेरी एक सामान्य-सी टिप्पणी को हिन्दी-साहित्य के वरिष्ट विख्यात आलोचक श्री आनंद प्रकाश जी द्वारा खुद पर व्यक्तिगत रूप से ले लेने की बदौलत और बदले में पूरी सेना के खिलाफ़ उपजी उनकी प्रतिक्रिया की वजह से . ..और इन अहसासों की पूर्णाहुति हुई कंचन के आखिरी पोस्ट पर पनिहारन की अद्यतन टिप्पणी को पढ़ने के बाद।
- वन-वे वाले इस पुल पर एक बार में एक भैंस या एक गाय ^ एक मोटसाइकिल ^ तीन-तीन साल के तीन बच्चे “ ” ” लेकिन कतार में_______ कंधे पर कुदाल लादे एक मजदूर ( & ) हल का फाल लिये एक किसान ( % ) सिर पर घड़ा रखे एक पनिहारन ( @ ) और साइकिल पर बकसिया धरे एक निजी प्रैक्टिशनर ( $ ) आराम से गुजर सकता है।